माकपा केंद्रीय कमेटी के फैसले से यह कहना गलत नहीं होगा कि अप्रत्यक्ष रूप से माकपा केंद्रीय कमेटी ने पार्टी राज्य कमेटी को कांग्रेस से समझौता की इजाजत दे दी है. कुछ बाध्यता की वजह से पार्टी की केंद्रीय कमेटी की ओर से कांग्रेस से गंठबंधन को लेकर प्रत्यक्ष इजाजत नहीं दी गयी. जो भी हो माकपा केंद्रीय कमेटी का यह फैसला पार्टी की बंगाल लॉबी की जीत मानी जा रही है. इसकी वजह है कि बंगाल में कांग्रेस से गंठबंधन को लेकर पार्टी की केरल और तमिलनाडु लाॅबी के नेताओं की ओर से लगातार विरोध किया जा रहा था. जबकि माकपा बंगाल लाॅबी के नेता गंठबंधन के पक्ष में शुरू से ही थे. पार्टी की केंद्रीय कमेटी में बंगाल लाॅबी के नेताओं की संख्या केरल और तमिलनाडु लॉबी की तुलना में काफी कम है.
केंद्रीय कमेटी के फैसले से यह कहना गलत नहीं होगा कि बंगाल लाॅबी के माकपा नेता पार्टी के केरल और तमिलनाडु लाॅबी के नेताओं पर भारी पड़े. गुरुवार दो दिवसीय बैठक की समाप्ति के बाद माकपा केंद्रीय कमेटी ने साफ कर दिया कि बंगाल में फ्रंट तैयार का फैसला माकपा केंद्रीय कमेटी नहीं, वरन बंगाल की राज्य इकाई लेगी. कांग्रेस से गंठबंधन को लेकर केरल, तमिलनाडु माकपा इकाई के विरोध के कारण ही पार्टी की केंद्रीय कमेटी ने फैसला बंगाल की माकपा राज्य कमेटी पर डाल दिया है. शुक्रवार को बंगाल में माकपा सचिव मंडली की अहम बैठक होने वाली है. बैठक में फ्रंट तैयार किये जाने पर चर्चा किये जाने की संभावना है. पार्टी सूत्रों के अनुसार माकपा केंद्रीय कमेटी के फैसले के बाद माकपा जल्द से जल्द तृणमूल कांग्रेस और भाजपा विरोधी फ्रंट तैयार करने की कोशिश करेगी. संभावना है कि इस मसले को लेकर प्रदेश कांग्रेस के नेताओं से भी जल्द बातचीत की जा सकती है. सूत्रों के अनुसार पार्टी करीब 15 दिनों के अंदर फ्रंट तैयार कर राज्य में होने वाले प्रस्तावित विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर फैसला ले सकती है. उल्लेखनीय है कि माकपा राज्य कमेटी के सचिव डॉ. सूर्यकांत मिश्रा से लेकर वाममोरचा के अध्यक्ष विमान बसु व अन्य माकपा नेताओं ने राज्य में तृणमूल कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने के लिए कांग्रेस से गंठबंधन की वकालत की है.
दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी समेत प्रदेश कांग्रेस खेमे के ज्यादातर नेताओं ने भी गंठबंधन का पक्ष लिया है. माकपा केंद्रीय कमेटी की बैठक के बाद पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने भी साफ कह दिया है कि बंगाल के मौजूदा राजनीतिक हालात काफी सोचनीय है. राज्य में लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन हो रहा है. आरोप के अनुसार राज्य में सांप्रदायिक शक्तियों को भी बल मिल रहा है. ऐसे में तृणमूल कांग्रेस और भाजपा विरोधी व धर्मनिरपेक्ष दलों का एकजुट होना काफी अहम है.