श्री श्रीवास्तव ने बताया कि बैठक में टैक्सी ड्राइवरों पर पुलिस के जुल्म का मुद्दा उठाया गया. महानगर में टैक्सी चालकों पर रिफ्यूजल के मामले कम हुए हैं, लेकिन अब टैक्सी रिसोल के नाम पर फाइन किया जा रहा है, जबकि यह काम मोटर व्हिक्लस विभाग का है. कोलकाता पुलिस व कोलकाता निगम की ओर से टैक्सी चालकों के लिए पार्किंग बनाने की बात कही जा रही है, लेकिन कहीं भी पार्किंग का बोर्ड नहीं लगाया गया है.
यह पता नहीं चल पाता है कि टैक्सी पार्किंग की व्यवस्था कहां-कहां है. उन्होंने कहा कि विगत दिनों टैक्सी चालकों के आंदोलन के दौरान 25 टैक्सी चालकों के खिलाफ मामला शुरू किया गया है, जो पूरी तरह असंवैधानिक है. उन्हें वापस लिया जाये. उन्होंने कहा कि हाल में तारातल्ला से जोका के बीच टैक्सी चालकों पर पुलिस का जुल्म बढ़ा है. तरह-तरह के बहाने बना कर फाइन किया जा रहा है. उन्होंने सुझाव दिया कि टैक्सी चालकों के मामले की सुनवाई लोक अदालत से हो तथा लोक अदालत में टैक्सी चालकों के बदले यूनियन द्वारा वकील नियुक्त किये जाने की अनुमति मिले, ताकि टैक्सी चालकों को कम नुकसान उठाना पड़े. उन्होंने कहा कि वे लोग टैक्सी चालकों के हित के लिए लड़ाई लड़ते रहेंगे. हड़ताल उन लोगों का अंतिम हथियार है. यदि उन लोगों की मांगें नहीं मानी गयीं, तो वे लोग 14-15 मार्च को टैक्सी हड़ताल के लिए बाध्य होंगे. बैठक में टैक्सी यूनियनों के अवनीश शर्मा, शंकर यादव, भुवनेश्वर वर्मा व मुकेश तिवारी शामिल थे.