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डलहौसी जूट मिल: मजदूरों में बंटे वर्द्धित बोनस के टिकट

हुगली. केंद्र सरकार ने हाल ही में 1965 के बोनस कानून में संशोधन किया था. इसके तहत सिलिंग महीने में 10 हजार रुपये से बढ़ा कर 21 हजार रुपये कर दिया है. पहले 10 हजार रुपये तक मजदूरी पाने वाले को साढ़े तीन हजार रुपये बोनस मिलते थे. उसे 2014-15 में लागू करते हुए सात […]

हुगली. केंद्र सरकार ने हाल ही में 1965 के बोनस कानून में संशोधन किया था. इसके तहत सिलिंग महीने में 10 हजार रुपये से बढ़ा कर 21 हजार रुपये कर दिया है. पहले 10 हजार रुपये तक मजदूरी पाने वाले को साढ़े तीन हजार रुपये बोनस मिलते थे. उसे 2014-15 में लागू करते हुए सात हजार रुपये कर दिये गये हैं.
डलहौसी के मजदूर दुर्गा पूजा पर साढ़े तीन हजार रुपये बोनस के तौर पर पा चुके हैं. अब वर्द्धित साढ़े तीन हजार रुपये बोनस के तौर पर भुगतान करने के लिए चापदानी स्थित डलहौसी जूट मिल के प्रेसिडेंट रंजन मोहिंता ने आज से टिकट बंटवायी है. 30 तारीख को बोनस का भुगतान होगा.
बोनस के टिकट पाकर यहां के पांच हज़ार मजदूरों में भारी ख़ुशी है. मजदूरों ने बताया कि हेस्टिंग्स जूट मिल पूरे राज्य में हमेशा बोनस सबसे पहले भुगतान करती है. इस बार भी ऐसा ही किया है. उन लोगो ने रंजन मोहिन्ता का जम कर तारीफ की . मिल के कॉमर्शियल मेनेजर एनके राठी ने बताया कि प्रभात खबर में जब बोनस सिलिंग टूटने और बर्द्धित बोनस की खबर आयी थी, तभी मिल में बोनस भुगतान किये जाने के नोटिस लगा दिये गये थे.

अधिसूचना से जूट मिल मालिक खफा, मामला दायर
कोलकाता. केंद्रीय जूट आयुक्त ने बी ट्विल की कीमत को 80 हजार रुपये प्रति टन तय कर दिया है. इससे पहले इंडियन जूट मिल एसोसिएशन ने बी ट्वील की कीमत (दो माह औसत बनाम तीन माह औसत) के खिलाफ हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने 11 जनवरी को आदेश पारित किया था. गौरतलब है कि 11 जनवरी को अपने आदेश में हाइकोर्ट ने प्रत्येक माह जूट कीमतों के आधार पर कीमत निर्धारित करने को कहा है, क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा तय किये गये नियम के अनुसार, कई बार कच्चे माल की कीमत उत्पादित माल के कीमत से अधिक होती थी, ऐसे में उत्पादित माल को बेच पाना संभव नहीं है. हाइकोर्ट के आदेश के तीन दिन बाद केंद्र सरकार ने बी ट्वील की कीमत 80 हजार रुपये प्रति टन निर्धारित कर दी है. जूट कीमतों को कम करने के लिए 21 नवंबर को हुई मंत्री समूह की बैठक में राज्य सरकार, जूट आयुक्त व केंद्र सरकार ने संयुक्त रूप से मंजूरी दी थी. मामले की सुनवाई के दौरान आइजेएमए के वकील ने बताया कि केंद्र सरकार ने हाइकोर्ट द्वारा 11 जनवरी को दिये गये आदेश की अनदेखी की है, इसलिए मिल मालिकों ने हाइकोर्ट को इस संबंध में अंतरिम आदेश देने की मांग की है. आइजेएमए का पक्ष सुनने के बाद हाइकोर्ट ने जूट आयुक्त से इस संबंध में पांच फरवरी तक हलफनामा पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 10 फरवरी को होगी.

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