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चाय बागानों के कायाकल्प अभियान को लगा झटका

जलपाईगुड़ी: उत्तर बंगाल के बंद तथा बदहाल चाय बागानों के कायाकल्प की संभावना एक बार फिर से क्षीण हो गयी है. हाल ही में कोलकाता में आयोजित औद्योगिक समिट के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चाय बागानों में टी टूरिज्म शुरू करने का प्रस्ताव दिया था. मुख्यमंत्री का कहना था कि चाय बागानों में चाय […]

जलपाईगुड़ी: उत्तर बंगाल के बंद तथा बदहाल चाय बागानों के कायाकल्प की संभावना एक बार फिर से क्षीण हो गयी है. हाल ही में कोलकाता में आयोजित औद्योगिक समिट के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चाय बागानों में टी टूरिज्म शुरू करने का प्रस्ताव दिया था. मुख्यमंत्री का कहना था कि चाय बागानों में चाय की खेती के साथ-साथ पर्यटन को भी बढ़ावा देना चाहिए. इसके लिए उन्होंने चाय बागान मालिकों को पांच एकड़ जमीन पर्यटन के लिए उपयोग करने का सुझाव दिया था.
मुख्यमंत्री के इस प्रस्ताव से चाय बागानों के मालिक तथा चाय उद्योगपति सहमत नहीं हैं. उत्तर बंगाल के चाय उद्योगपतियों ने साफ-साफ कह दिया है कि पांच एकड़ जमीन पर पर्यटन कारोबार कर पाना संभव नहीं है. इसके लिए कम से कम 100 एकड़ जमीन की आवश्यकता है. डुवार्स ब्रांच इंडिया टी एसोसिएशन के चेयरमैन संजय कुमार घाली ने कहा है कि पांच एकड़ जमीन पर भला पर्यटन कारोबार कैसे संभव है. इसके लिए और भी अधिक जमीन की आवश्यकता है. चाय बागानों में पर्यटन कारोबार को बढ़ावा देने के लिए स्वीमिंग पुल, गोल्फकोर्स, टेनिस कोर्ट, बोटिंग, हरबल स्पा आदि बनाने की आवश्यकता होगी. भला पांच एकड़ जमीन में इन ढांचागत सुविधाओं का विकास कहां से होगा. संगठन के आंचलिक सचिव तपन कुमार चौधरी ने भी कहा है कि इन ढांचागत सुविधाओं को विकसित करने के लिए चाय बागान की जमीन को पर्यटन उद्योग के लिए हस्तांतरित करना पड़ेगा.

इसके साथ ही चाय बागान मालिकों ने सीलिंग व्यवस्था मानने से भी इनकार कर दिया. यहां उल्लेखनीय है कि वर्ष 1999 में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने बिन्नागुड़ी सेंट्रल डुवार्स क्लब में चाय बागानों में पर्यटन कारोबार शुरू करने की घोषणा की थी. उसके बाद से लेकर अब तक इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई. इस बीच, ममता बनर्जी ने चाय बागानों के बिना उपयोग वाले पांच एकड़ जमीन पर पर्यटन कारोबार करने का प्रस्ताव पिछले दिनों दिया. इस बीच, डुवार्स के कुछ चाय बागानों में छोटे स्तर पर पर्यटन का कारोबार हो रहा है.

फांसखोआ, इंगा, कुर्ती, सामसी आदि चाय बागानों में इस तरह का काम शुरू किया गया है. बंगलो आदि पर्यटकों को किराये पर दिये जा रहे हैं और उन्हें चाय बागानों का दौरा कराया जा रहा है. लेकिन यह सब कुछ बहुत ही छोटे स्तर पर है. डुवार्स के चाय उद्योगपतियों का कहना है कि बड़े पैमाने पर पर्यटन कारोबार शुरू करने के लिए जमीन की सबसे अधिक अहमियत है. राज्य सरकार जब तक पर्याप्त मात्रा में जमीन उपलब्ध नहीं करा देती, तब तक पर्यटन कारोबार संभव नहीं है.

तकवर चाय बागान खुला
दार्जिलिंग. तकवर चाय बागान के सोमवार से खुलने पर श्रमिकों में खुशी की लहर है. यह बागान पिछले 25 दिसंबर से बंद पड़ा था. चाय बागान प्रबंधन ने सस्पेंशन नोटिस लगाकर इसे बंद कर दिया था. पिछले 14 जनवरी को स्थानीय एएलसी कार्यालय में त्रिपक्षीय बैठक के दौरान चाय बागान खोलने पर सहमति बनी थी. इस सहमति के तहत ही सोमवार को यह बागान खोल दिया गया.

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