यह जानकारी गुरुवार को सरकारी महाधिवक्ता जयंत मित्रा ने हाइकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान दी. उन्होंने साथ ही यह स्पष्ट किया कि उक्त जमीन पर किसी भी क्लब का कोई कानूनी अधिकार नहीं है, इसलिए क्लब को वहां से हटना ही होगा. गौरतलब है कि कलकत्ता हाइकोर्ट के निर्देश पर पिछले शुक्रवार को नाकतला के 153 सी एनएससी बोस रोड स्थित जमीन के एक टुकड़े को कब्जेदारों से मुक्त कराने के लिए पुलिस पहुंची, लेकिन तृणमूल पार्षद सुष्मिता दाम के पति भास्कर दाम ने कब्जेदारों को हटाने की सूरत में मौके पर केरोसिन और माचिस लेकर आत्महत्या की धमकी देने लगे, लिहाजा पुलिस को बैरंग वापस लौटना पड़ा था.
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नाकतला में विवादित जमीन कब्जे में लेगी सरकार
कोलकाता. नाकतला में एनएससी रोड पर स्थित 42 कट्ठा विवादित जमीन को लेकर राज्य सरकार ने अपनी मनोस्थिति जताते हुए स्पष्ट किया कि इस जमीन को राज्य सरकार अपने कब्जे में लेगी और यहां पर विश्व बैंक की मदद से राज्य सरकार निकासी परियोजना बनायेगी. राज्य सरकार की इस परियोजना के साथ फ्रांस की एक […]
कोलकाता. नाकतला में एनएससी रोड पर स्थित 42 कट्ठा विवादित जमीन को लेकर राज्य सरकार ने अपनी मनोस्थिति जताते हुए स्पष्ट किया कि इस जमीन को राज्य सरकार अपने कब्जे में लेगी और यहां पर विश्व बैंक की मदद से राज्य सरकार निकासी परियोजना बनायेगी. राज्य सरकार की इस परियोजना के साथ फ्रांस की एक कंपनी भी सहयोग करेगी. अगले कुछ वर्षों में इस योजना को पूरा किया जायेगा और इससे टालीनाला खाल की निकासी समस्या का समाधान हो जायेगा.
क्या है मामला : नाकतला में लीना दत्त की 42 कट्ठे की जमीन को पूर्व की वाममोरचा सरकार ने 1997 में अधिग्रहित किया था, लेकिन राज्य सरकार ने इस जमीन पर कोई प्रोजेक्ट तैयार नहीं किया. इसके बाद 2010 में राज्य सरकार ने हाइकोर्ट में बताया कि फिलहाल राज्य सरकार को इस जमीन की जरूरत नहीं है, लेकिन 1997 में जमीन अधिगृहित करने के बाद भी राज्य सरकार ने जमीन मालिक को कोई किराया नहीं दिया. अब गुरुवार को राज्य सरकार की ओर से फिर से इस जमीन पर निकासी परियोजना बनाने के लिए इसका अधिग्रहण करने का फैसला किया है. इसलिए गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट के न्यायाधीश ज्योतिर्मय भट्टाचार्य ने कहा कि अगर राज्य सरकार वास्तव में जमीन का अधिग्रहण करना चाहती है तो वह सात फरवरी के पहले जमीन के मालिक को 1997 से अब तक का जमीन का किराया जमा करे, जिससे सरकार की मनोस्थिति का पता चल सके.
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