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बंगाल को मिला मोदी का उपहार
हल्दिया पेट्रोकेमिकल्स : कंपनी को पटरी पर लाने के लिए आगे आया केंद्र डीजीएफटी ने हल्दिया पेट्रोकेमिकल्स के िलए रियायतों की घोषणा की कोलकाता : नववर्ष पर पश्चिम बंगाल को केंद्र की मोदी सरकार से बड़ा तोहफा मिला है. केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने आर्थिक संकट से गुजर रहे हल्दिया पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड के पुनर्विकास के लिए […]
हल्दिया पेट्रोकेमिकल्स : कंपनी को पटरी पर लाने के लिए आगे आया केंद्र
डीजीएफटी ने हल्दिया पेट्रोकेमिकल्स के िलए रियायतों की घोषणा की
कोलकाता : नववर्ष पर पश्चिम बंगाल को केंद्र की मोदी सरकार से बड़ा तोहफा मिला है. केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने आर्थिक संकट से गुजर रहे हल्दिया पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड के पुनर्विकास के लिए चार वर्ष का समय दिया है कि ताकि वह अपने निर्यात अनुबंधों को पूरा कर सके. इससे कंपनी को लगभग 2300 करोड़ रुपये की देनदारी का निबटारा करने में मदद मिलेगी. राज्य की ममता बनर्जी सरकार की सिफारिशों के अनुरुप ही केंद्र ने यह कदम उठाया है.
केंद्र सरकार का यह फैसला पश्चिम बंगाल के औद्योगिक विकास में गति ला सकता है. डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड ( डीजीएफटी) ने एचपीएल के साथ ही राज्य सरकार को केंद्र के फैसले अवगत करा दिया है. सात और आठ जनवरी को प्रस्तावित बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट के दौरान हल्दिया पेट्रोकेमिकल्स को लेकर बड़ी घोषणा हो सकती है.
डीजीएफटी के अतिरिक्त महानिदेशक डीके सिंह ने बताया कि पश्चिम बंगाल सरकार के प्रस्ताव के आधार पर कदम उठाया गया है. केंद्र सरकार एचपीएल का पुनर्विकास करने के लिए उत्सुक है. क्योंकि अगर यह बंद होता है तो इससे बड़ी संख्या में कामगार बेरोजगार होंगे. साथ ही छोटी-बड़ी सैकड़ों कंपनियां प्रभावित होंगी.
चटर्जी ग्रुप आगे आया है: जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार ने चटर्जी ग्रुप को अवसर प्रदान किया है, जिससे वह कंपनी की 80 प्रतिशत शेयर की भागीदार बन सकता है. इसमें पश्चिम बंगाल सरकार का 37.5 प्रतिशत शेयर शामिल है.
फरवरी महीने से एचपीएल को टीसीजी संचालित कर रही है और इस दौरान कंपनी बहुत बेहतर कार्य कर रही है. कंपनी 85 प्रतिशत एफिसिएंसी के साथ कार्य कर रही है और इसे प्रत्येक महीने लगभग 200 करोड़ रुपये का मुनाफा हो रहा है. हालांकि, इस समझौते को वास्तविक रूप प्रदान करने के लिए कंपनी को राज्य सरकार के 37.5 प्रतिशत शेयर के लिए 654 करोड़ रुपये चुकाने होंगे. यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद ज्वायंट वेंचर वाली एचपीएल टीसीजी प्राइवेट इंटरप्राइज की संपूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी हो जायेगी.
डीजीएफटी ने दी नियमों में अल्पकालिक छूट: कंपनी के पुनर्विकास के लिए डीजीएफटी ने कुछ नियमों में अल्पकालिक समय के लिए छूट देने का फैसला किया है.
एचपीएल को कच्चा माल जैसे नाप्था को विदेशों से आयात करने के लिए किसी प्रकार का शुल्क नहीं देना होगा. उसे एडवांस लाइसेंसिंग स्कीम के तहत जीरो-ड्यूटी सुविधा प्रदान की जायेगी. कंपनी को चार वर्षों के लिए यह छूट दी जायेगी ताकि वह अपने निर्यात संबंधी करार को पूरा कर सके. इसके साथ ही डीजीएफटी ने कंपनी को 20 प्रतिशत अतिरिक्त निर्यात का लक्ष्य दिया है.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस संबंध में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली व राज्य के वित्त मंत्री डा अमित मित्रा के बीच बातचीत हुई है. आगामी सात और आठ जनवरी 2016 को यहां आयोजित होनेवाले बंगाल ग्लोबल बिजनेस सम्मिट में इसकी घोषणा की जा सकती है.
नगदी के संकट से जूझ रही है कंपनी
वर्किंग कैपिटल की कमी के चलते एचपीएल आर्थिक संकट से गुजर रही है. इसे बीआइएफआर में भेजने की बात थी, लेकिन कंपनी के एक प्रधान निवेशक पुर्णेंदू चटर्जी ने समय पर आगे आकर कंपनी को बचाया था. पुर्णेंदू चटर्जी ने जरूरत के अनुसार निवेश किया था, यहां तक कि उनकी द चटर्जी ग्रुप (टीसीजी) ने राज्य सरकार के शेयर खरीदने की पेशकश की थी. इस संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने फिलहाल कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.
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