कोलकाता: विश्व के कई देशों में चिकित्सा जगत में कई आविष्कार हुए हैं. इसमें लीवर ट्रांसप्लांट ऑपरेशंस भी सफलतापूर्वक हो रहे हैं. भारत में दिक्कत यह है कि यहां अंग दान के प्रति लोगों में जागरुकता नहीं है.
उक्त बातें गुरुवार को टाटा मेडिकल सेंटर में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में लीवर ट्रांसप्लांट ऑपेरशंस में महारत हासिल यूके के डॉक्टर जॉन बकेल्स ने कहीं. उन्होंने कहा कि अगर लोगों में मृत्यु के बाद अंग दान करने के प्रति चेतना हो तो कई लोगों की जान बचायी जा सकती है. उन्हें यह जानकर आश्चर्य हुआ है पश्चिम बंगाल में शव दान करने संबंधी (कैडेवर डोनर प्रोग्राम) कोई कार्यक्रम नहीं है, जिससे कि लाखों लोगों की जानें बचायी जा सकती है. क्वीन एलीजाबेथ हॉस्पिटल से जुड़े डॉ बकेल्स अभी भारत के दौरे पर हैं और टाटा मेडिकल सेंटर में अपने चिकित्सकीय अनुभव साझा करने के लिए आये हैं. डॉ बकेल्स ने जानकारी दी कि भारत में एक मिलियन आबादी में से केवल 0.05 लोग ही अपना ऑर्गेन दान कर पाते हैं. जबकि यू के में 12.5 और यूएसए में 21 लोग अंग दान करते हैं.
ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गेन एक्ट 1994 में केंद्र सरकार द्वारा पास किया गया है लेकिन पश्चिम बंगाल सहित भारत में कई राज्यों में इसको अब तक लागू नहीं किया गया है. बर्मिघम से आये सजर्न बेक्लस ने 1000 से ज्यादा लीवर ट्रांसप्लांट ऑपरेशन किये हैं. टाटा मेडिकल सेंटर के उप निदेशक डॉ वी आर रहमान ने कहा कि भारत को प्रति वर्ष 200,000 किडनी और 100,000 लीवर ट्रांसप्लांट्स की आवश्यकता पड़ती है लेकिन यहां केवल तीन प्रतिशत ऑर्गेस ही उपलब्ध हैं. यहां लोगों में जागरुकता की कमी है. लोगों को पता ही नहीं है कि दिमाग के खत्म होने के बाद भी व्यक्ति की किडनी व लीवर किसी जरूरतमंद व्यक्ति की जान बचा सकते हैं. पश्चिम बंगाल में भी लोगों में इस चेतना को जगाने की जरूरत है. आज ऑर्गेन दान करने की काफी आवश्यकता है. उनका कहना है कि लीवर ट्रांसप्लांट के बाद मरीज काफी लंबे समय तक सरवाइव कर सकते हैं.
टाटा मेडिकल सेंटर के डाइरेक्टर डॉ मैमेन चैंडी ने बताया कि राज्य सरकार को तमिलनाडु का अनुसरण करना चाहिए. तमिलनाडु में ब्रेन की मृत्यु के बाद शरीर के अंग दान के प्रति काफी जागरूकता है. वहां लोगों का डोनर कार्ड बना हुआ है. यहां पूरे राज्य में 37 ट्रांसप्लांट सेंटर बने हुए हैं. सरकार को निजी व सरकारी अस्पतालों के बीच अंग दान करने व अनुभव साझा करने के नेटवर्क को विस्तारित करना चाहिए जिससे अन्य लोगों को किसी का जीवन बचाने व अंग दान करने की प्रेरणा मिल सकेगी.