कोलकाता: कांग्रेस सांसद और केंद्रीय रेल राज्य मंत्री अधीर रंजन चौधरी ने स्थानीय निकाय चुनावों में उनके गढ़ यानी बरहमपुर नगरपालिका चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के दो सीटें जीतने पर उसे श्रेय देने से इनकार करते हुए कहा कि वे उम्मीदवार केवल अपनी क्षमता की वजह से जीते हैं.
चौधरी ने चुनाव के नतीजों को लेकर प्रतिक्रिया देते हुए संवाददाताओं से कहा कि तृणमूल कांग्रेस और वाम दल ने बरहमपुर में संयुक्त रुप से कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ा लेकिन उनकी पार्टी आखिरकार विजयी ही रही. बरहमपुर नगरपालिका के अंतर्गत कुल 25 वार्डो में कांग्रेस ने 23 वार्डो पर जीत हासिल की जबकि तृणमूल ने पहली बार यहां दो वार्डो पर कब्जा जमाया. बरहमपुर नगरपालिका मुर्शिदाबाद जिले का मुख्यालय है. पिछले 15 सालों से यानी लगातार तीन कार्यकाल के दौरान नगरपालिका में कांग्रेस का कोई विपक्षी नहीं रहा है.
चौधरी ने कहा कि वर्तमान समय में जब कांग्रेस जिलों में बिखर रही है, यह जीत उनकी पार्टी के लिए महत्वपूर्ण है और इससे हमें अपना समर्थन आधार मजबूत करने और पार्टी को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी.
सत्तारूढ़ दल के पसंदीदा विपक्षी नेता सूर्यकांत
कांग्रेस विधायक दल के सदस्य मानस भुइंया ने विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल का मुद्दा उठाते हुए कहा कि माकपा व विधानसभा में विपक्ष के नेता सूर्यकांत मिश्र शायद सत्तारूढ़ दल के पसंदीदा विपक्षी नेता हैं. सोमवार को श्री भुइंया ने विधानसभा परिसर में संवाददाताओं से कहा कि विधानसभा में माकपा के 39 सदस्य हैं और कांग्रेस के 40. यानी मुख्य विपक्षी दल का दर्जा किसे मिलना चाहिए था? उन्होंने कहा कि विधानसभा के नियम साफ कहते हैं कि दूसरी सर्वाधिक विधायक संख्या वाली पार्टी को विपक्ष का दर्जा दिया जायेगा. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. ध्यान रहे कि निलंबित कांग्रेस सदस्य अजय दे के तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के बाद विधानसभा में कांग्रेस सदस्यों की संख्या 39 हो गयी. इस मसले पर कांग्रेस के आला नेता ने तृणमूल कांग्रेस पर कांग्रेस के सदस्यों को लालच देकर पार्टी में सेंध लगाने का आरोप लगाया. यह एक खतरनाक खेल है और यह संसदीय लोकतंत्र के लिए सही नहीं है.