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अवैध शराब बिक्री पर अंकुश लगे

कोलकाता. शराब से केवल पीने वालों के स्वास्थ्य पर ही असर नहीं पड़ता, बल्कि इस बुरी लत का प्रभाव पूरे समाज पर भी पड़ता है. पिछले कुछ दशक में शराब सेवन का प्रचलन बढ़ा है. युवा वर्ग इस ओर ज्यादा आकर्षित हुआ है जो एक सभ्य समाज के लिए चिंता का विषय है. शराब लोगों […]

कोलकाता. शराब से केवल पीने वालों के स्वास्थ्य पर ही असर नहीं पड़ता, बल्कि इस बुरी लत का प्रभाव पूरे समाज पर भी पड़ता है. पिछले कुछ दशक में शराब सेवन का प्रचलन बढ़ा है. युवा वर्ग इस ओर ज्यादा आकर्षित हुआ है जो एक सभ्य समाज के लिए चिंता का विषय है. शराब लोगों के जीवन व घर-परिवार को तहस-नहस ही नहीं कर रहा है, बल्कि समाज में बढ़ते कई आपराधिक घटनाओं के लिए भी जिम्मेदार है.

ऐसे ही कई पहलु हैं जिससे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अगले वर्ष अप्रैल महीने से बिहार में शराब की बिक्री पर रोक लगाने की घोषणा की है. बिहार की तर्ज पर क्या बंगाल में भी शराबबंदी लागू की जायेगी? उक्त प्रश्न का हल ढूंढ़ने के लिए प्रभात खबर और जन संसार के संयुक्त आयोजन में इस बार जन संवाद का विषय ‘शराबबंदी बंगाल में क्यों नहीं’ रखा गया.

जन संवाद कार्यक्रम में बुद्धिजीवी, कानूनी विशेषज्ञ, युवा, राजनीति और समाज सेवा से जुड़े विशिष्ट लोग शामिल हुए. जन संवाद कार्यक्रम में शराबबंदी का समर्थन तो किया गया, लेकिन अवैध रूप से शराब की बिक्री पर चिंता जतायी गयी. परिचर्चा में पहले अवैध शराब की बिक्री पर शिकंजा कसे जाने पर जोर दिया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार गीतेश शर्मा ने किया. कार्यक्रम का संचालन प्रभात खबर कोलकाता के संपादक तारकेश्वर मिश्र ने किया. विशेष वक्ता के रूप में वरिष्ठ अधिवक्ता और कानूनी सलाहकार प्रदीप जीवराजका मौजूद रहे. आइये जानते हैं उपरोक्त मुद्दे पर विशिष्ट लोगों की राय :

गीतेश शर्मा (वरिष्ठ पत्रकार) : शराब की लत से केवल कुछ परिवार ही नहीं, बल्कि पूरा समाज इससे प्रभावित होता है. पूरी तरह से शराबबंदी किसी भी सरकार द्वारा संभव नहीं है. मान लें यदि बंगाल में सरकार शराबबंदी का फरमान जारी कर दे तो क्या अवैध रूप से शराब की बिक्री बंद हो जायेगी? अवैध शराब के बिक्रेता ज्यादा लाभान्वित होने लगेंगे. अवैध को वैध नहीं होने देना होगा. पहले अवैध शराब की बिक्री पर शिकंजा कसना होगा. पूर्ण शराबबंदी के लिए समाज सुधार आंदोलन चलाना होगा, जिसमें हम सभी को शामिल होना होगा.

प्रदीप जीवराजका (वरिष्ठ अधिवक्ता व कानूनी सलाहकार) : शराबबंदी बिहार की तर्ज पर बंगाल में क्यों नहीं? सभी यह चाहते हैं. शराब से मिलने वाले राजस्व को छोड़ना सरकार के लिए आसान भी नहीं है. मुद्दा यह है कि शराब की लत के खिलाफ किसी भी राज्य सरकार द्वारा प्रचार करने की पहल नहीं की गयी है. शराबबंदी के लिए हमें पहले एक नागरिक की जिम्मेदारी का पालन करना होगा. आजकल लोग शराब पीने को रूतबा व हैसियत से जोड़ने भी लगे हैं. सामाजिक कार्यक्रमों में इसका प्रचलन बढ़ा है. ड्राइ डे पर शराब बिक्री की मनाही रहती है. तो क्या उस दिन लोगों को शराब नहीं मिलती? थोड़ी जांच कर लें तो आपको पता चल जायेगा कि लोगों को अवैध रूप से शराब बेचनेवाले आसानी से मिल जाते हैं. इसे रोकने की जरूरत है. समाज के लोगों को ही सुधार की पहल करनी होगी.

भोला प्रसाद सोनकर (समाजसेवी): क्या वाकई में बिहार में शराब की बिक्री बंद हो जायेगी? यदि हां तो बंगाल में संभवत: शराब की बिक्री बढ़ जायेगी. शराब की फैक्टरी रहेगी तो शराब की बिक्री भी होगी. आलम यह है कि खपत बढ़ाने के लिए अब प्लास्टिक की बोतल में शराब की बिक्री हो रही है. सेलिब्रिटी शराब के प्रचारों से हटें. शराबबंदी के फरमान के पहले अवैध शराब की भट्ठी बंद हों. क्योंकि जब तक अवैध रूप से शराब की बिक्री होगी, तब तक पूरी तरह से शराबबंदी संभव नहीं है.

सुनील राय (पूर्व शिक्षक) : शराब की लत केवल गरीब ही नहीं, बल्कि अमीर वर्ग की भी समस्या है. देसी शराब ही नहीं अवैध रूप से शराब की बिक्री करनेवाले ग्रामीण इलाकों में मिल जाते हैं. जब तक शराब की फैक्टरियां रहेंगी तब तक इस पर लगाम लगाना मुश्किल है. बंगाल में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में शराबबंदी होनी चाहिए. उसके लिए युवा पीढ़ी को आगे आना होगा.

सूरज कुमार सिंह (समाजसेवी) : सामाजिक-सांस्कृतिक समारोहों में शराब सेवन का प्रचलन बढ़ा है. समाज का कोई वर्ग इसके विरोध में खड़ा नहीं हो रहा है. समाज में बदलाव समाज में रहने वाले लोग ही कर सकते हैं. केवल बंगाल ही नहीं बल्कि पूरे देश में शराबबंदी का फरमान जारी हो. यह फरमान लोगों की जागरूकता और सामाजिक आंदोलन के बाद ही सफल हो पायेगा.

डॉ प्रेम कपूर (साहित्यकार) : शराब के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सभी लोगों को मालूम है कि शराब पीना नुकसानदेह है. इसके बावजूद सामाजिक कार्यक्रमों में शराब सेवन की व्यवस्था करवायी जाती है. शराब पर पूर्ण बंदी के लिए सामाजिक आंदोलन की जरूरत है. मुझे नहीं लगता कि इस राज्य में शराबबंदी होगी. भला राजस्व को कौन छोड़ना चाहेगा.

बिमल शर्मा : किसी राज्य में शराबबंदी हो जाये, अच्छी बात है लेकिन देश की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर शराब और अन्य ड्रग्सों की होने वाली तस्करी से शराबबंदी को पूर्ण लागू कर पाना संभव है क्या? शराब प्लास्टिक बोतलों में बिकने लगी है जो तस्करी कार्य में भी आसानी होती है. अवैध रूप से शराब बेचे जाने को पहले रोकना होगा. केवल बातें नहीं शराब के खिलाफ एक बड़े आंदोलन की सख्त जरूरत है.

श्रीकांत सोनकर (युवा नेता) : शराबबंदी की केवल घोषणा से ही शराब पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता है. शराब के खिलाफ सामाजिक आंदोलन की जरूरत है. जब लोगों को शराब की लत लगेगी ही नहीं तो उनकी खपत भी धीरे-धीरे कम हो जायेगी.

करण सोनकर : शराब के शिकार सबसे ज्यादा युवा वर्ग है. इसके लिए राजनीति जिम्मेदार है. वोट पाने के लिए क्लबों में शराब की बोतलें पहुंचायी जाती हैं. बंगाल ही नहीं पूरे देश में शराबबंदी होनी चाहिए. अवैध शराब की भट्ठी तोड़े जाने और शराब की फैक्टरियों को बंद कर श्रमिकों को दूसरे रोजगार की व्यवस्था के बाद ही यह संभव हो पायेगा.

काली प्रसाद जायसवाल (समाजसेवी) : शराब से पीने वाले ही नहीं बल्कि पूरा समाज प्रभावित होता है. यदि शराबबंदी पहले हो जाती तो निर्भया कांड नहीं होता. बंगाल में शराबबंदी होनी चाहिए लेकिन उसके पहले अवैध शराब की बिक्री पर रोक लगाने के लिए सरकार को कदम उठाना चाहिए.

मोहम्मद एस आलम : बंगाल में शराबबंदी जरूरी तो है. शराब से केवल एक परिवार ही नहीं बल्कि पूरा समाज प्रभावित होता है. इसके खिलाफ युवा वर्ग को आगे आना होगा.

मोहम्मद अफसर : पूर्ण शराबबंदी सामाजिक आंदोलन के बाद ही संभव है. जब तक समाज के लोग शराब बिक्री के खिलाफ खड़े नहीं होंगे, तब तक शराब बिक्री रोका नहीं जा सकता है.

मलय कुमार जेना : शराबबंदी अभिभावकों और शिक्षकों के प्रयासों से ही हो सकता हैं. वे शुरू से ही अपने बच्चों व विद्यार्थियों से खुलकर बातें करें, ताकि उन्हें इसकी लत ही नहीं लगे. बंगाल में अवैध शराब की बिक्री पर पहले रोक लगायी जाये.

जन संवाद के कार्यक्रम में रवि सोनकर, पंकज सिंह, धर्मराज कश्यप समेत अन्य लोग भी मौजूद रहे.

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