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86 साल वृद्ध की एंजियोप्लास्टी

कोलकाता: महानगर स्थित बीएम बिरला हर्ट रिसर्च सेंटर में एक बार फिर एक उम्रदराज व्यक्ति की सफल एंजियोप्लास्टी की गयी. उम्रदराज व्यक्ति के हर्ट में ब्लॉकेज के बाद ऑपरेशन काफी मुश्किल होता है, क्योंकि उसके हृदय में ब्लॉकेज काफी सख्त होता है. उम्र के कारण शरीर के अन्य अंग भी कमजोर होते हैं. ऐसे में […]

कोलकाता: महानगर स्थित बीएम बिरला हर्ट रिसर्च सेंटर में एक बार फिर एक उम्रदराज व्यक्ति की सफल एंजियोप्लास्टी की गयी. उम्रदराज व्यक्ति के हर्ट में ब्लॉकेज के बाद ऑपरेशन काफी मुश्किल होता है, क्योंकि उसके हृदय में ब्लॉकेज काफी सख्त होता है. उम्र के कारण शरीर के अन्य अंग भी कमजोर होते हैं. ऐसे में सफल ऑपरेशन काफी महत्वपूर्ण है.

हावड़ा के सलकिया निवासी नीलमणि घोष (86) को अचानक दिल का दौरा पड़ा. बीएम बिरला हर्ट रिसर्च सेंटर के कॉर्डियोलॉजी विभाग के सलाहकार डॉ धीमान कहाली के नेतृत्व में उनका उपचार शुरू किया गया. मंगलवार को एंजियोप्लास्टी का ऑपरेशन किया गया, जिसके बाद वह स्वस्थ हैं. डॉ कहाली ने बताया कि मरीज को दो दिन पहले दिल का दौरा पड़ा था. उसके सीने में काफी दर्द था. उसके आर्टरी (धमनी) में लगभग तीन ब्लॉके ज पाये गये. ब्लॉकेज अधिक होने पर आमतौर पर मरीजों की बाइपास सजर्री की जाती है, लेकिन 86 वर्षीय इस मरीज की बाइपास सजर्री करना जोखिम भरा था. बाइपास सजर्री करने पर मरीज की मौत भी हो सकती थी. डॉ कहाली ने मरीज के परिजनों से बात कर वृद्ध की एंजियोप्लास्टी की. एंजियोप्लास्टी के बाद मरीज स्वस्थ है.

बाइपास सजर्री कब
पांच से ज्यादा या 100 ब्लॉकेज होने पर बाइपास सजर्री की जाती है. कई बार पुराना ब्लॉकेज होने पर भी बाइपास सजर्री की जाती है. चिकित्सकों के अनुसार, बाइपास किसी भी मरीज के लिए जोखिम भरा होती है. इस सजर्री की मोटालिटी रेट यानी मृत्यु दर बहुत ज्यादा होती है. वहीं, दूसरी ओर एंजियोप्लास्टी में जोखिम नहीं के बराबर होती है. मेडिकल साइंस के इस युग में अब कई मामलों में 100 फीसदी ब्लॉकेजवाले मरीज की भी सफल एंजियोप्लास्टी की जा रही है.

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