चाय बागानों व उनमें कार्यरत श्रमिकों की बदहाली पर इन लोगों ने समस्याओं को काफी जटिल बताया.
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चाय बागान संग्राम समिति का गठन
सिलीगुड़ी. चाय बागानों की बदहाली को लेकर बुद्धजीवियों ने रविवार को यहां गहरा चिंतन-मंथन किया. शहर के दार्जिलिंग मोड़ ट्रक स्टैंड के निकट स्थित मंगलमाइती भवन में आयोजित एक सम्मेलन में बड़ी संख्या में बुद्धिजीवी (अध्यापक, प्रोफेसर, लेखक, पत्रकार, अधिवक्ता, कलाकार), राजनीतिज्ञ, मानवाधिकार संस्था के प्रतिनिधि, समाजसेवी, विश्वविद्यालयों के छात्र और चाय बागानों के श्रमिक […]
सिलीगुड़ी. चाय बागानों की बदहाली को लेकर बुद्धजीवियों ने रविवार को यहां गहरा चिंतन-मंथन किया. शहर के दार्जिलिंग मोड़ ट्रक स्टैंड के निकट स्थित मंगलमाइती भवन में आयोजित एक सम्मेलन में बड़ी संख्या में बुद्धिजीवी (अध्यापक, प्रोफेसर, लेखक, पत्रकार, अधिवक्ता, कलाकार), राजनीतिज्ञ, मानवाधिकार संस्था के प्रतिनिधि, समाजसेवी, विश्वविद्यालयों के छात्र और चाय बागानों के श्रमिक जुटे.
बागानों की बदहाली एवं श्रमिकों के अधिकार की आवाज दिल्ली व कोलकाता में तेज करने का फैसला किया गया. साथ ही भावी रणनीति का खाका तैयार किया गया. इस लड़ाई के लिए चाय बागान संग्राम समिति नामक नया संगठन बनाने पर सर्वसम्मति से मोहर लगी. सभी ने समिति के संयोजक के रूप में सुख मन मुक्तान के नाम का समर्थन किया.
श्री मुक्तान ने बताया कि 21 सदस्यों को लेकर यह समिति गठित की जायेगी. इस समिति को और अधिक मजबूत बनाने के लिए तीन-तीन सदस्यों की सलाहकार व संचालन कमेटी भी गठित की जायेगी. आज के चिंतन-मंथन में अध्यापक व समाजसेवी महेंद्र पी लामा, सिलीगुड़ी कॉलेज के प्रोफेसर, वामपंथी संगठन सीपीआइ (एमएल) व श्रमिक संगठन के नेता अभिजीत मजूमदार, वामपंथी चिंतक आरबी राई, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो मुनिष तामांग, कलकत्ता विश्वविद्यालय के प्रो शुभाशिष मुखोपाध्याय, उत्तर बंग विश्वविद्यालय के प्रो अजीत राय, मानवाधिकार संगठन के अभिरंजन भादुड़ी, कलाकार पुष्पन प्रधान, अमिर सुंदर व अन्य समाज सुधारकों ने अपने-अपने विचार रखे.
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