कई बार यह होता था कि व्यस्तता के बावजूद लोग घंटो लाइन में खड़े होकर फी जमा करते थे. कभी-कभी खिड़की बंद हो जाने के बाद उन्हें खाली हाथ वापस लौट जाना पड़ता था. इससे दलालों को बहुत फायदा होता था. भीड़ से बचने के लिए लोग दलालों का सहारा लेते थे. इस बीच कई दलाल इस बात का फायदा उठाकर रकम लेकर फरार हो जाते थे. बात सिर्फ यहीं समाप्त नहीं हो जाती. फी लेनेवाले अधिकारी भी मोटी रकम की मांग करते. हावड़ा नगर निगम में फैली इस दलाल प्रथा की शिकायत मेयर डा. रथीन चक्रवर्ती के कानों तक भी पहुंची. इसके बाद मेयर ने इसकी जब जांच करवायी तो सत्यकथा सामने आयी.
इसके अलावे भी फी जमा को लेकर कई भ्रांतियां थी. फलत: मेयर ने लाइसेंस विभाग को नए रुप से इस सिस्टम को सजाने का निर्देश दिया. मेयर के निर्देश पर लाइसेंस विभाग के अधिकारी सोमनाथ दास को इसकी जिम्मवारी दी गई. इस मुद्दे पर सोमनाथ दास का कहना है कि मेयर का निर्देश मिलते ही उन्होंने सबसे पहले एक साफ्टवेयर डेवलप करवाई. कारण जिनलोगों की ट्रेड लाइसेंस नहीं है या जिन्होंने पिछले 20 या 30 वर्षों से लाइसेंस फी ही नहीं दिया है या लाइसेंस का नविनीकरण नहीं कराया है तो उनसे आज के रेट में जुर्माना वसूला नहीं जा सकता. मुझे 20 वर्ष पहले के रेट से जुर्माना वसूलना पड़ेगा. सोमनाथ दास का कहना है कि सिर्फ ऑन लाइन ही नहीं निगम में आकर भी लोग फी जमा करवा सकते हैं.
अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो आनेवाले वित्तवर्ष में यह सिस्टम चालू हो जाएगी. इस मुद्दे पर हावड़ा चेंबर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष शंकर सांयाल ने कहा कि निगम ने सराहनीय कार्य किया है. उन्होंने कहा कि ऑन लाइन फी जमा देने की सुविधा से व्यापारियों को लाभ पहुंचेगा और समय की बचत भी होगी.