कोलकाता. कोलकाता नगर निगम के चुनाव में विपक्षी दलों को मिली करारी हार के बाद जहां अभी तक किसी भी दल को मुख्य विपक्ष का दर्जा नहीं मिला है, वहीं अब विपक्ष को मिलने वाली म्यूनिसिपल अकाउंट्स कमेटी के चेयरमैन की कुर्सी की परंपरा भी खतरे में नजर आ रही है. उम्मीद है कि पहली बार सत्ता पक्ष का कोई पार्षद म्यूनिसिपल अकाउंट्स कमेटी के चेयरमैन के पद पर नियुक्त होगा. नियम के अनुसार मुख्य विपक्षी दल को चेयरमैन के नाम पर प्रस्ताव पेश करने के लिए कहा जाता है. विपक्ष आपस में विचार विमर्श के बाद इस पद के लिए किसी का नाम पेश करता है, जिस पर मुहर लग जाती है. म्यूनिसिपल अकाउंट्स कमेटी का काम ऑडिटर जनरल की रिपोर्ट तैयार करना है.
निगम के टेंडर व अन्य कामों में जो गलतियां होती हैं, उसे ऑडिटर जनरल सामने लाता है. चूंकि इस बार के चुनाव में किसी भी दल को 15 सीटें नहीं मिली हैं, इसलिए इस बार किसी भी दल को विपक्ष का दर्जा नहीं दिया गया है. निगम की कुल 144 सीटों की दस प्रतिशत से अधिक सीटें जीतने पर ही किसी दल को विपक्ष की हैसियत मिल सकती है, पर इस बार किसी भी दल को 15 सीट नहीं मिली है.
इसलिए जहां किसी को भी विपक्ष के नेता की हैसियत नहीं मिली है, वहीं पहली बार म्यूनिसिपल अकाउंट्स कमेटी के चेयरमैन के लिए चुनाव होगा, जिसमें भाजपा, कांग्रेस व वाममोरचा के साथ-साथ शासक दल तृणमूल कांग्रेस का उम्मीदवार भी मैदान में नजर आयेगा. सूत्रों के अनुसार सात नंबर वार्ड के पार्षद बापी घोष का चेयरमैन बनने की संभावना नजर आ रही है. चुनाव से पहले श्री घोष तृणमूल छोड़ कर भाजपा में शामिल हो गये थे आैर भाजपा के निशान पर ही चुनाव भी जीता था, पर चुनाव जीतने के बाद वह तृणमूल में शामिल हो गये, हालांकि दस्तावेजों में वह अभी भी भाजपा के ही पार्षद हैं. वह आधिकारिक रूप से तृणमूल कांग्रेस में शामिल नहीं हुए हैं.