उत्तर बंगाल के तीन जिलों से हुई शुरुआत
कोलकाता : सिलेबस में प्राकृतिक आपदा व उससे निपटने के तरीके के अभाव से चिंतित राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने अब स्वयं इस बारे में शिक्षकों व छात्रों को प्रशिक्षित करने का फैसला किया है. फिलहाल इसकी शुरुआत उत्तर बंगाल के तीन जिलों कूचबिहार, दाजिर्लिंग व जल्पाईगुड़ी से हुई है.
600 स्कूलों में ट्रेनिंग
राज्य के इन तीनों जिलों को भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने आपदा प्रवण इलाके के रूप में चिह्न्ति किया है. इन तीन जिलों के 600 स्कूलों में आपदा से मुकाबला करने की ट्रेनिंग दी जायेगी. सबसे पहले शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जायेगा. शिक्षकों को प्रशिक्षण मास्टर ट्रेनर देंगे, जो आपदा प्रबंधन के अधिकारियों व नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट प्रबंधन द्वारा प्रशिक्षित होंगे. यह प्रशिक्षण छात्रों को किसी भी तरह की आपदा के दौरान खुद को बचाने के लिए एहतियाती कदम उठाने में मदद करेगा.
केंद्र ने दिये डेढ़ करोड़
इस प्रशिक्षण परियोजना के लिए केंद्र ने डेढ़ करोड़ रुपये मंजूर किये हैं. छात्रों को प्रशिक्षण देने के लिए विभाग ने एक सिलेबस व पाठय़पुस्तक भी तैयार किया है. इस संबंध में राज्य आपदा प्रबंधन मंत्री जावेद खान ने कहा कि प्राकृतिक आपदा के दौरान सबसे अधिक प्रभावित स्कूल होते हैं.
इस आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण के दौरान छात्रों को फस्र्ट एड, आग से बचाव, खोज व राहत अभियान के बारे में सिखाया जायेगा. इसके अलावा छात्रों को मौक ट्रेनिंग भी करवायी जायेगी, जो किसी भी तरह की मुसीबत के समय छात्रों के लिए काफी सहायक साबित होगी.
कमेटी का गठन
प्रशिक्षण कार्यक्रम को संचालित करने के लिए नेशनल स्कूल सेफटी प्रोग्राम नामक एक कमेटी का गठन किया जायेगा. कमेटी में स्कूल के शिक्षक, पारा शिक्षक व छात्र शामिल होंगे. कमेटी में पांच टीम खोज व बचाव, पूर्व चेतावनी, फस्र्ट एड, आश्रय व संपर्क बनायी जायेगी.
विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा तैयार किया गया यह एक केंद्र प्रायोजित कार्यक्रम है. देश के 17 राज्यों ने अपने–अपने संवेदनशील इलाकों में इस परियोजना को शुरू किया है.
वहीं, राज्य के आपदा प्रबंधन मंत्री जावेद खान ने बताया कि भूकंप, भूस्खलन, बाढ़, तूफान, आग व अन्य आपदा के दौरान छात्रों व शिक्षकों को एहतियाती कदम उठाने में सक्षम हो पायेंगे. यह प्रशिक्षण जुलाई 2014 में पूरी होगी. इसके साथ ही विभाग ने जिलों के स्कूलों की इमारतों का एक ग्राफिक विजुअल सर्वे भी शुरू किया है, जिससे इमारतों की स्थिति के बारे में जानने में मदद मिलेगी.
आपदा के दौरान पहाड़ी इलाकों में स्थित स्कूलों की इमारत सबसे अधिक खतरा झेलती हैं. भूकंप प्रतिरोधी मापदंडों के आधार पर पहाड़ी इलाकों में स्कूलों की नयी इमारत भी तैयार की जायेगी.