कोलकाता: दुर्गापूजा से पहले दो नगरपालिकाओं को जोड़नेवाले फेरी घाट को बुधवार को अचानक बंद कर दिया गया. इससे दैनिक यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बुधवार सुबह लांच पकड़ने आये लोगों में भारी क्षोभ देखा गया. आरोप है कि बिना किसी पूर्व सूचना के फेरी घाट बंद कर दिया गया.
इससे लगभग 15 हजार दैनिक यात्रियों को मुसीबत का समाना करना पड़ रहा है. मालूम हो कि हजारों की संख्या में मिल मजदूर दोनों इलाकों की मिलो में काम करने के लिए जाते हैं और कई दैनिक यात्री सुबह खड़दह से सियादह के लिए ट्रेने पकड़ने के लिए आते हैं.
फेरी घाट के कर्मचारियों अनुसार, खड़दह और रिसड़ा नगरपालिका के बीच इसे मामले को लेकर काफी दिनों से विवाद चल रहा है. राज्य में सरकार बदलने के बाद रिसड़ा नगरपालिका की ओर से खड़दह स्थित घाट को अपने कब्जे में ले लिया गया था. इस पर खड़दह नगरपालिका की ओर से भारी आपत्ति जतायी गयी थी. खड़दह नगरपालिका के चेयरमैन तापस पाल का आरोप है कि रिसड़ा नगरपालिका ने नियम-कानून को नहीं मानते हुए फेरी घाट को अधिग्रण कर लिया है. उन्होंने बताया कि खड़दह नगरपालिका ओर से इसकी पूरी जानकारी पुलिस प्रशासन और भूतल परिवहन निगम को दी गयी है.
साथ ही दो बार पत्र के माध्यम से डीएम को भी सूचित कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि दोंनो ओर के यात्री यहां से आते जाते हैं, तो स्वाभाविक रूप से इस पार मेरा अधिकार होना चाहिए. दूसरी आेर, रिसडा नगरपालिका के चेरमैन शंकर प्रसाद साव का कहना है कि मुख्य रूप से फेरी कर्मचारियों द्वारा बोनस की मांग करने की वजह से परिचालन सेवा बंद कर दिया गया है. उन्होंने खडदह नगरपालिका पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह फरिघाट जब घाटे में चल रहा था, उस समय समझाैता हुआ था कि दोनों पालिका मिल कर पैसा खर्च कर इसे चलायेंगी और इससे होनेवाले लाभ को बराबर में बाट लिया जायेगा. उन्होंने कहा कि फेरी घाट पर काम करनेवाले कर्मचारियों का वेतन और घाट की देखरेख रिसड़ा नगरपालिका की ओर से की जाती है, उस पर से हम पर ही रुपये गबन करने का आरोप लगाया जाता है.