कोलकाता: राज्य के पूर्व चुनाव आयुक्त सुशांत रंजन उपाध्याय द्वारा इस्तीफा दिये जाने का मुख्य कारण कथित तौर पर सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस का दबाव देना ही माना जा रहा है. इन आरोपों को बुधवार को शिक्षा मंत्री व तृणमूल के आला नेता पार्थ चटर्जी ने एक सिरे से खारिज करते हुए कहा कि ऐसा कोई दबाव उन पर नहीं था. उन्होंने कहा कि तृणमूल सरकार संवैधानिक रूप से ही कार्य कर रही है. आरोप के अनुसार माकपा समेत अन्य विपक्षी दल अपना जनाधार खो रहे हैं. यही वजह है कि चुनाव को लेकर वे विषम स्थिति पैदा करना चाहते हैं.
धरना स्थल पर पहुंचे तृणमूल के वरिष्ठ नेता
हावड़ा नगर निगम (बाली) के 16 वार्डों, विधाननगर नगर निगम और आसनसोल नगर निगम के मतदान के दौरान हिंसा व गड़बड़ी को लेकर मिलनेवाली शिकायतों के बाद राज्य चुनाव आयोग के पूर्व आयुक्त सुशांत रंजन उपाध्याय ने तीनों निकायों की प्रस्तावित मतगणना की तिथि स्थगित कर दी थी. इसके बाद से ही राज्य चुनाव आयोग के कार्यालय के समक्ष तृणमूल कांग्रेस धरना पर बैठ गये. कथित तौर पर सत्तारूढ़ दल के दबाव के बाद पूर्व आयुक्त ने बीते सोमवार को संभवत: कुछ बूथों पर पुनर्मतदान और मतगणना की तिथि नौ अक्तूबर होने की बात कही थी. बाद में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. चूंकि पूर्व आयुक्त ने मौखिक रूप से पुनर्मतदान और मतगणना की बात कही थी. इस बाबत आयोग द्वारा जारी विगत अधिसूचना ही लागू है जिसमें तीनों मतगणना की प्रस्तावित तिथि स्थगित की बात थी. अविलंब मतगणना की मांग पर तृणमूल कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं का धरना बुधवार को भी जारी था. धरना स्थल पर शिक्षा मंत्री व तृणमूल के आला नेता पार्थ चटर्जी, सुब्रत बक्शी, कोलकाता के मेयर शोभन चटर्जी समेत अन्य आला नेता भी पहुंचे थे.
चुनाव पूरा करना पहली प्राथमिकता : अलापन
तृणमूल कांग्रेस के जारी धरना को लेकर राज्य चुनाव आयुक्त का अस्थायी पद ग्रहण करने वाले अलापन बंद्योपाध्याय से जब पूछा गया कि क्या आयोग ने धरना वापस लेने का आग्रह किया है तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कह दिया कि यह काम आयोग का नहीं है. राज्य चुनाव आयोग का पहला मुख्य काम है कि संवैधानिक रूप से चुनाव की पूरी प्रक्रिया समाप्त हो.