इस निर्माण में सकारात्मक सोच व नकारात्मक सोच का बहुत महत्व होता है. सार्थक जीवन के लिए सकारात्मक सोच बहुत जरूरी है. नकारात्मक सोच के द्वारा हम जीव में आगे बढ़ने के द्वार बंद कर लेते है. साध्वीश्री रश्मिप्रभाजी ने मधुर गीतिका का संगान किया. गावां म्हे शासन रा गुणगान गीत ने सभी को सम्मोहित कर दिया. उत्तर हावड़ा के मंत्री राकेश संचेती ने रविवार 19 जुलाई को चातरुमासिक प्रवेश विहार यात्र में सभी से सम्मलित होने का अनुरोध किया एवं परिपत्र साध्वीश्री को सौंपा. उपासक शिविर के प्रायोजक मोहनलाल मगनी देवी भादानी थे. उनका स्वागत मोमेंटो प्रदान कर किया गया. आभार ज्ञापन सभा के उपाध्यक्ष सुशील गिड़िया ने किया. संयोजन सभा मंत्री बसंत पटावरी ने किया.
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हावड़ा में दो दिवसीय उपासना शिविर
हावड़ा. दो दिवसीय उपासक-उपासिका प्रवेश शिविर का आयोजन साध्वीश्री त्रिशला कुमारीजी के सान्निध्य में संपन्न हुआ. छह सत्र में आयोजित कार्यक्रम को प्रेरणा प्रदान करने के लिए उपासक व प्राध्यापक निर्मल नोलख राजस्थान से विशेष रूप से पधारे थे. रविवारीय प्रवचन साउथ हावड़ा के हावड़ा मिल्स क्लब हाउस हॉल में आयोजित हुआ. साध्वीश्री ने नमस्कार […]
हावड़ा. दो दिवसीय उपासक-उपासिका प्रवेश शिविर का आयोजन साध्वीश्री त्रिशला कुमारीजी के सान्निध्य में संपन्न हुआ. छह सत्र में आयोजित कार्यक्रम को प्रेरणा प्रदान करने के लिए उपासक व प्राध्यापक निर्मल नोलख राजस्थान से विशेष रूप से पधारे थे.
रविवारीय प्रवचन साउथ हावड़ा के हावड़ा मिल्स क्लब हाउस हॉल में आयोजित हुआ. साध्वीश्री ने नमस्कार महामंत्र के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की. साध्वीश्री कल्पयशाजी ने कायोत्सर्ग का प्रयोग करवाया. साध्वीश्री पुनीतप्रभाजी ने बताया कि मोह को कैसे जीता जा सकता है. साध्वीश्री कल्पयशाजी ने कहा कि जिस प्रकार जंग लगे लोहे की छड़ को पारस पत्थर भी सोना नहीं बना सकता, ठीक उसी प्रकार कषाय से ग्रस्त आत्मा का भी कल्याण सहज नहीं हो सकता. साध्वीश्री त्रिशला कुमारीजी ने कहा कि हर व्यक्ति को अपने जीवन रूपी मंदिर के निर्माण का कार्य मिला है. व्यक्ति अपने सोच के अनुरूप ही उस मंदिर का निर्माण कर पाता है.
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