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मोदी सरकार के खिलाफ दूसरे दलों का साथ दे सकती है माकपा

कोलकाता. देश की मौजूदा स्थिति काफी विषम होती जा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों के खिलाफ संसद में और बाहर दूसरी राजनीतिक ताकतों के साथ माकपा एकजुट हो सकती है. ऐसा पहले भी हुआ है. संसद के बाहर भूमि अधिग्रहण विधेयक के मुद्दे पर वामपंथी कांग्रेस के साथ राष्ट्रपति के पास गये थे. […]

कोलकाता. देश की मौजूदा स्थिति काफी विषम होती जा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों के खिलाफ संसद में और बाहर दूसरी राजनीतिक ताकतों के साथ माकपा एकजुट हो सकती है. ऐसा पहले भी हुआ है. संसद के बाहर भूमि अधिग्रहण विधेयक के मुद्दे पर वामपंथी कांग्रेस के साथ राष्ट्रपति के पास गये थे. विशेष मुद्दों पर अन्य राजनीतिक दलों के साथ सहयोग करने को तैयार हैं. रही बात कांग्रेस की तो मुद्दों के आधार पर सहयोग करने को वामपंथी तैयार हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कांग्रेस से गंठबंधन की जाये. कांग्रेस से गंठबंधन का सवाल ही नहीं है.

यह बात माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने कही है. माकपा विशेष मुद्दों पर कांग्रेस के साथ लड़ने की इच्छुक है तो भाजपा से लड़ने के लिए गंठबंधन करने से क्या अड़चन होने संबंधी सवाल पर येचुरी ने कहा वामपंथी गैर कांग्रेस धर्मनिरपेक्ष दलों के साथ एकजुट होने का आह्वान कर रही है.

आरोप के मुताबिक कांग्रेस ही आज इन सांप्रदायिक ताकतों को सत्ता में लेकर आयी है मसलन कांग्रेस सरकार के सत्ता में रहने के दौरान भ्रष्टाचार और जनविरोधी आर्थिक नीतियों के कारण ही भाजपा सत्ता में आयी है. ऐसी नीतियों के समर्थन का सवाल ही नहीं उठता है. भूमि अधिग्रहण विधेयक को पारित नहीं होने देने या राज्यसभा में इसे शिकस्त देने को लेकर विपक्ष की राजनीति कब तक जारी रहने के प्रश्न पर येचुरी ने मोदी सरकार पर अड़ियल रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा सरकार को जवाब देना चाहिए कि आखिर वे उस विधेयक में संशोधन क्यों करने की कोशिश कर रहे जिसका उन्होंने खुद विगत 2013 वर्ष में समर्थन किया था? भाजपा के समर्थन के बाद ही इस विधेयक को मंजूरी मिली थी.

आइपीएल के दागी पूर्व आयुक्त ललित मोदी को लेकर उठे विवाद के मसले पर माकपा ने इस पूरे मुद्दे की गहन जांच की मांग की है. येचुरी ने आरोप लगाया है कि आइपीएल धन शोधन का एक सबसे बड़ा रास्ता था और अगर मोदी सरकार काले धन के मुद्दे पर सचमुच गंभीर है तो उसे ललित मोदी विवाद पर तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए. भविष्य में माकपा और भाकपा के विलय की संभावनाओं के बारे में पूछे जाने पर माकपा महासचिव ने कहा कि विलय तत्काल एजेंडा में नहीं है लेकिन पार्टी ने तय किया है कि दोनों दल के लोगों के संघर्ष को मजबूत बनाने के लिये साथ काम करते रहेंगे.

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