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विस में विधेयक पारित, चाय श्रमिकों के लिए 100 करोड़ का फंड

कोलकाता: चाय बागान श्रमिकों के कल्याण के लिए 100 करोड़ रुपये के फंड के प्रस्ताव का विधेयक (वेस्ट बंगाल टी प्लानटेशन इंप्लाइज वेलफेयर फंड बिल, 2015) गुरुवार को राज्य विधानसभा में ध्वनि मत से पारित हो गया. राज्य में कुल 283 पंजीकृत चाय बागान हैं. इनमें 2,62,426 श्रमिक काम करते हैं तथा इन पर 11,24,907 […]

कोलकाता: चाय बागान श्रमिकों के कल्याण के लिए 100 करोड़ रुपये के फंड के प्रस्ताव का विधेयक (वेस्ट बंगाल टी प्लानटेशन इंप्लाइज वेलफेयर फंड बिल, 2015) गुरुवार को राज्य विधानसभा में ध्वनि मत से पारित हो गया. राज्य में कुल 283 पंजीकृत चाय बागान हैं.

इनमें 2,62,426 श्रमिक काम करते हैं तथा इन पर 11,24,907 लोग आश्रित हैं. इस विधेयक के कानून बनने से इतनी बड़ी जनसंख्या को लाभ मिलेगा. विधानसभा में गुरुवार को विधेयक पर हुई बहस का जवाब देते हुए श्रम मंत्री मलय घटक ने बताया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में सरकार के गठन के बाद पहली बार सर्वसम्मति से सभी 22 यूनियनों के साथ समझौता किया गया. इसमें चाय श्रमिकों के लिए 142.50 रुपये दैनिक मजदूरी तय की गयी है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने चाय बागानों को लेकर एक सर्वेक्षण किया था. इस सर्वेक्षण के आधार पर यह देखा गया है कि कई चाय बागानों में बिजली की सुविधा नहीं है, कहीं अस्पताल नहीं हैं, तो कहीं राशन दुकान नहीं हैं.

इसके मद्देनजर राज्य के सभी विभागों की ओर से कदम उठाये गये. खाद्य विभाग द्वारा उठाये गये कदम के अनुसार बंद चाय बागान के श्रमिकों को दो रुपये किलो की दर से चावल तथा तीन रुपये की दर से गेहूं दिया जा रहा है. बंद चाय बागान के श्रमिकों को 1500 रुपये मासिक भत्ता दिया जाता है. उन्होंने कहा कि मालिकों को बंद चाय बागानों की समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित किया जाता है, तो वे धन की कमी का मुद्दा उठाते हैं. इसी कारण चाय बागान के श्रमिकों के लिए 100 करोड़ रुपये का फंड बनाने का निर्णय किया गया है. इसकी मदद से चाय बागान मालिकों द्वारा श्रमिकों को आवासन, चिकित्सा, शिक्षा आदि की सुविधाएं उपलब्ध करायी जायेगी. यह राशि ऋण के तहत दी जायेगी. फॉरवर्ड ब्लॉक के विधायक परेश अधिकारी ने कहा कि इससे मालिकों को ही फायदा होगा. कांग्रेस विधायक जोसेफ मुंडा व कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक डॉ मानस रंजन भुइंया ने सवाल किया कि अब तक कितने चाय बागान मालिकों के खिलाफ कदम उठाये गये हैं. सरकार का रवैया चाय बागान मालिकों के प्रति नरम है.

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