कोलकाता. कांचरापाड़ा स्थित फोरमैन कॉलोनी में रविवार को साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी में कहानी व कविताओं की समीक्षा के दौरान समाज की विभिन्न समस्याओं पर चर्चा की गयी. खासतौर से वर्तमान में महिलाओं पर होनेवाले जुल्मों पर गहरी चिंता व्यक्त की गयी.
संगोष्ठी के शुरुआती दौर में महिला संगठनों और कई आंदोलनों से जुड़ी पिंकी कांति ने खुद की लिखी कहानी ह्यरिश्तों की चौखट को पढ़ा. कहानी एक भिखारी परिवार की युवती की है, जिसके साथ उसी के पिता ने दुष्कर्म किया. छोटे भाई-बहनों के लालन-पालन की समस्या की वजह से युवती अपने पिता की करतूत किसी को नहीं बताती है, लेकिन वह अपने पिता से घोर घृणा करने लगती है. पिता एक बार फिर दुष्कर्म करने की कोशिश करता है, लेकिन युवती की मां पूरी ताकत से विरोध करती है. इस दौरान हुई हाथापाई में घायल मां की मौत हो जाती है, तो दूसरी ओर पिता को हृदयाघात हो जाता है. मां के दाह संस्कार के बाद युवती अपने पिता की सेवा भी करती है, लेकिन अचानक झुग्गी-झोपड़ी हटाने के क्रम में पिता की मौत हो जाती है. मौत पर बेटी रोती नहीं, बल्कि जोर-जोर से हंसती है. असलियत से अनभिज्ञ लोग उसे पागल समझते हैं.
कहानी के माध्यम से पिंकी कांति ने चिंता व्यक्त की है कि वर्तमान में महिलाएं बाहर ही नहीं, बल्कि घर में भी जुल्मों की शिकार हो रही हैं. कार्यक्रम में केंद्र सरकार के संस्थान कैट में कार्यरत नीलम प्रसाद, कांचरापाड़ा से प्रकाशित मासिक पत्रिका के संपादक व कवि तमाल साहा, शिक्षक संजय राय ने संगोष्ठी के दौरान कविता पाठ किया. कार्यक्रम के दौरान शिक्षक संजय जायसवाल, वरिष्ठ पत्रकार गंगा प्रसाद, भाषा परिषद से जुड़े सुशील कांति, शिक्षक डॉ भोला प्रसाद सिंह, नगनारायण सिंह, ओड़िशा से आये शिक्षक व कवि मुकेश प्रसाद, रेलवे वर्कशॉप में कार्यरत राजेश सिंह, सुशील प्रसाद, सिक्किम से आये शिक्षक मंटो साव समेत कई साहित्य प्रेमी मौजूद थे.