कोलकाता: सारधा ग्रुप के चेयरमैन सुदीप्त सेन और उनके दो सहयोगी देबजानी मुखर्जी व अरविंद कुमार चौहान को गुरुवार को कड़ी सुरक्षा के बीच विधाननगर एसीजेएम कोर्ट में पेश किया गया. कोर्ट ने इन तीनों के विरुद्ध दर्ज दो अलग-अलग मामले आइपीसी की धारा 32 और 39 की सुनवाई की.
18 को फिर होगी पेशी
कोर्ट ने सरकारी व अभियुक्तों के वकील का पक्ष सुनने के बाद धारा 39 में इन तीनों को नौ दिन की पुलिस हिरासत में रखने का निर्देश दिया. कोर्ट ने इस मामले में सुदीप्त, देबजानी और अरविंद कुमार चौहान को पुन: 18 मई को कोर्ट में पेश करने के कहा, जबकि धारा 32 के सुनवाई के बाद कोर्ट ने तीनों को 14 दिन के जेल हिरासत में रखने का निर्देश दिया. इन तीनों को 23 मई को कोर्ट में पेश करने के लिए कहा गया.
जांच पूरी होने का इंतजार
बाद में सुदीप्त को जब अदालत से ले जाया जा रहा था, तब उसने संवाददाताओं से कहा कि वह जांच पूरी हो जाने के बाद बोलेगा. सेन ने कहा : मैं बोलूंगा. कुछ समय इंतजार करिये. जांच पूरी हो जाने दीजिये. मैं बालूंगा. गौरतलब है कि सेन ने गत महीने सीबीआइ को एक पत्र लिखा था, जिसमें उसने तृणमूल कांग्रेस के दो सांसदों सहित 22 लोगों के खिलाफ शिकायत की थी, जिन्होंने कथित रूप से पैसे के लिए उसकी कंपनी को ब्लैकमेल किया था.
गौरतलब है कि इलेक्ट्रॉनिक्स थाने में सारधा ग्रुप के एक टीवी चैनल की महिला पत्रकार अर्पिता घोष ने उसे और उसके सहयोगियों को तीन महीने का वेतन न देने के लिए धारा 32 के तहत मामला दर्ज किया था. वहीं, इलेक्ट्रॉनिक्स थाने में एक निवेशक ने सारधा ग्रुप के चेयरमैन सुदीप्त सेन के विरुद्ध धारा 39 के तहत चिटिंग का मामला दर्ज किया था. उसने आरोप लगाया कि संस्था ने रियल्टी में निवेश करने के लिए उससे एक लाख रुपये लिया था, लेकिन मियाद खत्म होने के बावजूद संस्था उसके पैसे नहीं लौटा रही है.
थी कड़ी सुरक्षा
विरोध प्रदर्शन की आशंका के मद्देनजर विधाननगर पुलिस ने गुरुवार सुबह 7.30 बजे सुबह ही सुदीप्त और देबजानी को कोर्ट लॉकअप में ले आयी. कुछ देर बाद अरविंद कुमार चौहान को भी कोर्ट में लाया गया. इसके बावजूद पुलिस अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो सकी और प्रदर्शनकारियों से दो-चार होना पड़ा. कोर्ट से निकलने के दौरान पत्रकारों के एक जबाव में सुदीप्त ने बताया कि जांच खत्म होने के बाद वह मुंह खोलेगा. उसने थोड़ा और इंतजार करने के लिए कहा. सुदीप्त के इस बयान को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
बताया जाता है कि सारधा को चलाने के लिए सुदीप्त सेन से कई राजनीतिक व प्रभावशाली लोग हर महीने मोटी रकम लेते थे, जो किसी भी तरह से उसके कर्मचारी नहीं थे. इस वजह से सारधा समूह की यह दुर्दशा हुई. कोर्ट परिसर में निकलने के बाद सुदीप्त ने इशारों में यह संकेत दे दिया कि इस मामले में अभी और कई खुलासे होंगे.