छत्रधर महतो, शांतनु सोरेन, सुखशांति बास्के तथा शोभन मुमरू को यूएपीए (अनलॉफुल एक्टिविटिज प्रिवेंशन एक्ट) और देशद्रोह के तहत तथा राजा सरखेल और प्रसून चटर्जी को देशद्रोह के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी. मेदिनीपुर जिला अदालत की अतिरिक्त जज कावेरी बसु ने चारों को सोमवार को दोषी करार दिया था. मंगलवार को अदालत ने सजा की घोषणा की. चारों पश्चिम बंगाल के लालगढ़ में 2008 से 2011 तक माओवादी गतिविधियों में शामिल थे. यूएपीए के तहत सजा सुनाने का राज्य का यह पहला मामला है.
उल्लेखनीय है कि सितंबर, 2009 को महाष्टमी के दिन वीरकार गांव से कोलकाता पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने पुलिस अत्याचार विरोधी जनसाधारण कमेटी के नेता छत्रधर महतो को गिरफ्तार किया था. छत्रधर महतो के खिलाफ सरकारी काम में बाधा देने, सरकार के विरुद्ध षडय़ंत्र रचने, लोगों को सरकार के खिलाफ भड़काने सहित कई मामले दर्ज हैं. पिछले पांच साल से वह जेल में हैं. छत्रधर के परिवार ने अदालत के फैसले के खिलाफ उच्च अदालत में अपील करने का निर्णय किया है.