कोलकाता : केंद्र सरकार की लापरवाही के कारण सरकारी नौकरी पाने से वंचित पश्चिम बंगाल के 200 से अधिक युवा दिल्ली में प्रधानमंत्री आवास के बाहर आमरण अनशन शुरू करने जा रहे हैं. इन सभी युवाओं का संबंध मुसलिम समाज से है.
ऑल बंगाल अल्पसंख्यक युवा फेडरेशन के महासचिव मो कमरूज्जमां ने बताया कि इन युवकों का संबंध पिछड़े वर्ग से है. राज्य के पिछड़ा वर्ग का सर्टिफिकेट भी इनके पास है. इन्होंने स्टाफ सलेक्शन कमेटी (एसएससी) के तहत बीएसएफ, सीआरपीएफ, एसएसबी, असम राइफल्स के लिए परीक्षा दी थी और सभी टेस्ट में उत्तीर्ण भी हुए थे.
एसएससी की वेबसाइट पर दी गयी फाइनल लिस्ट में इनके नाम भी थे. नियुक्ति पत्र का इंतजार कर रहे इन युवकों के होश उस वक्त उड़ गये, जब इन्हें एसएससी द्वारा भेजे गये एक पत्र द्वारा यह सूचित किया गया कि जिन जातियों के प्रमाण पत्र इन्होंने पेश किये हैं, वह उनकी तालिका में रजिस्टर्ड नहीं हैं.
इतना ही नहीं, आंध्रा बैंक में नौकरी कर रहे सलीम अली नामक युवक की नौकरी भी इसी कारण चली गयी. बैंक ने उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी कर दिया. श्री कमरुज्जमां ने बताया कि 2011 में राज्य सरकार ने मुसलिम समाज की 46 नयी जातियों को पिछड़ी जाति के रूप में चिह्न्ति किया था.
सितंबर 2011 में नेशनल कमीशन ऑफ बैकवर्ड क्लास ने यहां सुनवाई कर इन जातियों को अपनी तालिका में शामिल भी कर लिया था. इसके बावजूद सरकारी तौर पर इन जातियों को रजिस्टर्ड नहीं किये जाने के कारण 200 से अधिक युवकों का भविष्य अंधेरे में डूब गया. इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री से मिलने का प्रयास भी किया गया, पर उन्होंने समय नहीं दिया. मजबूर होकर हम 21 अक्तूबर से दिल्ली में प्रधानमंत्री आवास के बाहर आमरण अनशन करेंगे. दिल्ली जाने से पहले वे फिर मुख्यमंत्री से मिलने का प्रयास करेंगे.