कोलकाता. हाल ही में हुए एक शोध के अनुसार पश्चिम बंगाल की 11.69 प्रतिशत महिलाएं गर्भावधि मधुमेह (जेस्टेशनल डायबिटीज) रोग से पीडि़त हैं. ग्लोबल जर्नल ऑफ मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ नामक पत्रिका में प्रकाशित इस रिपोर्ट के अनुसार इस रोग की शिकार महिलाओं में से अधिकतर का संबंध ग्रामीण क्षेत्र से है. गर्भावधि मधुमेह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें पहले से कभी डायबिटीज की शिकायत नहीं होने के बावजूद गर्भावस्था के दौरान ब्लड ग्लुकोज अत्यधिक बढ़ जाता है. जेस्टेशनल डायबिटीज मेलिटस (जीडीएम) ने दुनियाभर में 15 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को प्रभावित किया है. वहीं भारत में इस रोग से ग्रसित महिलाओं की संख्या चार मिलियन के करीब है. इस रोग से प्रभावित महिलाओं को प्रसव के समय काफी जटिलता होती है. नवजात शिशु भी निम्न रक्त शर्करा (लो ब्लड शूगर) एवं जांडिस (पीलिया) के शिकार हो जाते हैं. मधुमेह रोग विशेषज्ञ डा. देवाशिष बसु का क हना है कि देश में गर्भकालीन मधुमेह का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है, जो आने वाले दिन में एक आपदा का रुप ले सकता है. इस रोग से हमारी सामाजिक स्थिति भी प्रभावित होने का खतरा है. इससे निपटने के लिए एक जेस्टेशनल डायबिटीज मैनेजमेंट तैयार करने की जरूरत है. अत्यधुनिक तकनीक व विशेषज्ञता से लैस डॉक्टरों की जरूरत वक्त की आवाज है.
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राज्य की 11.69 महिलाएं गर्भावधि मधुमेह से पीडि़त
कोलकाता. हाल ही में हुए एक शोध के अनुसार पश्चिम बंगाल की 11.69 प्रतिशत महिलाएं गर्भावधि मधुमेह (जेस्टेशनल डायबिटीज) रोग से पीडि़त हैं. ग्लोबल जर्नल ऑफ मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ नामक पत्रिका में प्रकाशित इस रिपोर्ट के अनुसार इस रोग की शिकार महिलाओं में से अधिकतर का संबंध ग्रामीण क्षेत्र से है. गर्भावधि मधुमेह एक […]
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