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मोदी के मन की बात का क्या मायने, जब उनके पास दिमाग ही नहीं है : ममता बनर्जी

-कोलकाता ब्यूरो- कोलकाता : केंद्र के जमीन बिल का विरोध करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में निकाली गयी तृणमूल की रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर निशाना साधा गया. मौलाली से निकला जुलूस गांधी मूर्ति के सामने सभा में तब्दील हो गया. यहां ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री पर सांप्रदायिक हिंसा फैलाने का […]

-कोलकाता ब्यूरो-
कोलकाता : केंद्र के जमीन बिल का विरोध करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में निकाली गयी तृणमूल की रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर निशाना साधा गया. मौलाली से निकला जुलूस गांधी मूर्ति के सामने सभा में तब्दील हो गया. यहां ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री पर सांप्रदायिक हिंसा फैलाने का आरोप लगाया.साथ ही उन्हें सेल्फी और बयानबाजी में लिप्त रहने वाला बताया.

ममता बनर्जी ने जमीन बिल को वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि बंगाल को सांप्रदायिक हिंसा की आग में झोंकने की कोशिश हो रही है. देश भर में गिरजाघर तोड़े जा रहे हैं. नरेंद्र मोदी के भाषण की नकल उतारते हुए उन्होंने कहा कि वह कैमरा देख कर ‘मित्रों’ कहते हैं और ‘मन की बात’ में झूठ कहते हैं लेकिन देश में मानों आपातकालीन स्थिति लागू करदेते हैं. लेकिन क्या ‘मन की बात ’ जब उनका दिमाग नहीं है. वह सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने में ही जुटे हुए हैं.

तृणमूल को दी गयी सीबीआइ की नोटिस के संबंध में उन्होंने कहा कि तृणमूल गरीब पार्टी है. हमसे जवाब मांगा जा रहा है. जवाब मांगने वालों का क्या अधिकर है. वह लगातार होने वाले चुनावों में इतना भारी खर्च करने वालों से जवाब मांगते हैं. तृणमूल अपना हिसाब चुनाव आयोग व आयकर विभाग को देती है. जब भी चुनाव आते हैं नोटिस भेजना शुरू हो जाता है. सुश्री बनर्जी ने कहा कि अब तो लगातार ‘पॉलिटिकल इंटरेस्ट लिटिगेशन’ दायर किया जा रहा है. उन्हें भाषण देने से रोकने के लिए भी मामला किया गया. ममता बनर्जी ने दावा किया कि निगम व नगरपालिका चुनाव शांतिपूर्ण होंगे. उनका कहना था कि जो राज्य में आतंक का आरोप लगा रहे हैं उन्हें याद रखना चाहिए कि यहां लोकतंत्र है इसलिए ही वह आरोप लगा पा रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में भाजपा, माकपा व कांग्रेस मिले हुए हैं.

उल्लेखनीय है कि नगरपालिका व कोलकाता नगर निगम चुनाव के पहले इस जुलूस के माध्यम से तृणमूल का यह शक्ति प्रदर्शन था. मंगलवार को वाम मोरचा ने जमीन अधिग्रहण कानून के खिलाफ जुलूस निकाला था. उल्लेखनीय है कि तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी वाम मोरचा सरकार द्वारा सिंगुर में टाटा मोटर्स कारखाने के लिए किये गये जमीन अधिग्रहण का विरोध किया था तथा उसी आंदोलन के मद्देनजर तृणमूल बाद में सत्ता में आयी थी.
ममता बनर्जी के इस कदम से यह स्पष्ट हो गया कि वे केंद्र सरकार के साथ भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर किसी तरह का समझौता नहीं करेंगी. राजनीतिक हलकों में इस तरह के कयास लगाये जा रहे हैं कि राज्यसभा में अल्पमत वाली नरेंद्र मोदी सरकार कुछ प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियों को इस मुद्दे पर अपने साथ कर रही है और इसमें उसे कामयाबी भी मिली है. ताकि वह राज्यसभा में अपना भूमि विधेयक पारित करवा ले. लेकिन, ममता की आज की पदयात्रा से स्पष्ट हो गया कि केंद्र सरकार को कम से कम उनका तो समर्थन नहीं मिलेगा.

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