कोलकाता. ‘करुणा जब समय के चाक पर चढ़ती है, तो उसे आवे से गुजर कर पात्र होना ही होता है. एक ऐसा पात्र जो हर हाल में पुष्टि, तुष्टि और संतुष्टि का माध्यम है. अगर इस पात्र में संवेदना प्रसूत सहानुभूति आ जाये, तो समझना कि जीवन के पोषण की संभावनाएं हरिया गयीं हैं. डॉ करुणा पांडेय की कहानियां इसी बात का इशारा हैं.’’ राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने ये टिप्पणी डायलॉग सोसायटी द्वारा संयोजित डॉ करु णा पांडेय के कहानी संग्रह ‘कोहरे में किलकारी’ के लोकार्पण के अवसर पर कहीं.
पुस्तक की समीक्षा करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ प्रेम शंकर त्रिपाठी ने इस संग्रह की कहानियों को अपने समय का दायित्वबोध बताया. उन्होंने कहा कि ऐसी कहानियां स्त्री विमर्श के हाहाकार से ऊपर उठ कर बोलती हैं. वरिष्ठ सृजनधर्मी गीतेश शर्मा ने पुस्तक की कहानियों को रूढ़ियों के चित्रीकरण की सामान्य परंपरा से आगे की कड़ी बताया. उन्होंने यह भी कहा कि सामाजिक तौर पर ऐसे प्रयास की सराहना होनी चाहिए.
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ कृष्ण बिहारी मिश्र ने की और कहा कि ये कहानियां मन की आंखों का आइना हैं. कहानीकार करुणा ने इस सत्य को स्वीकारा कि संग्रह की अधिसंख्य कहानियां सत्य घटनाओं के निकट हैं. भारतीय भाषा परिषद के सभागार में इस कार्यक्रम में अनेक गणमान्य और साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे, जिनमें अरु ण चक्र वर्ती , डीएन मिश्र, एचएन सिंह, कौशलेंद्र तिवारी, आशीष सान्याल, विमलेश्वर, जेपी सिंह, मनोज कुमार सिंह, कमल अग्रवाल, गिरिधर, हेमें भट्टाचार्य मनोहर, अभिनव पांडेय आदि ने अपनी सक्रि य उपिस्थति दी. अनिल पांडेय (एडीशनल सीआइटी) ने राज्यपाल का अभिनंदन किया. आयोजन में कुसुम जैन एवं प्रेम कपूर का विशेष सहयोग रहा. धन्यवाद ज्ञापन शकुन त्रिवेदी ने किया. कार्यक्र म का संचालन बरेली से आये डॉ राहुल अवस्थी ने किया.