इसमें आरोप लगाया गया है कि जिन इलाकों में नगरपालिका चुनाव हो रहे हैं, वहां तृणमूल ने अपनी हार की आशंका को देखते हुए भाजपा उम्मीदवारों को निशाना बनाया है और उन्हें जबरन नगरपालिका चुनाव में अपनी उम्मीदवारी वापस लेने के लिए बाध्य किया है. इसके लिए वह स्थानीय पुलिस व प्रशासन का भी सहारा ले रहे हैं. श्री सिन्हा ने ज्ञापन में आरोप लगाया है कि पुलिस भी सत्ताधारी गुंडों का साथ दे रही है. ज्यादातर मामलों में थाने में शिकायत नहीं ली जा रही है. उलटे शिकायत करनेवालों को झूठे मामलों में फंसाया जा रहा है.
शनिवार सुबह आरामबाग के एसडीओ प्रतूल बसु ने भाजपा प्रतिनिधियों के उस तर्क को खारिज कर दिया कि नियमों के मुताबिक उम्मीदवारी वापस लेते वक्त उम्मीदवार को अपना पहचान पत्र दिखाना पड़ता है. बंगाल में लोकतंत्र की यही हालत है. भाजपा के कई उम्मीदवारों का अपहरण कर लिया जा रहा है या फिर उनके रिश्तेदारों के माथे पर रिवॉल्वर रखकर जबरन उम्मीदवारी वापस लेने के लिए मजबूर किया जा रहा है.
आरामबाग, बांसबेड़िया, रिसड़ा, चंदननगर, चांपदानी, कंटाई, एगरा, नैहाटी, भाटपाड़ा, दमदम, दक्षिण दमदम, मध्यमग्राम, बारासात, कांचरापाड़ा, हालीशहर, रामपुरहाट, बोलपुर, कल्याणी, रानाघाट, गायेशपुर, इंग्लिशबाजार, ओल्ड मालदा, माथाभांगा, दिनहाटा, राजपुर-सोनारपुर, जयनगर, मजिलपुर में स्थिति सर्वाधिक खराब है. राज्य चुनाव आयोग केवल मूक दर्शक बना बैठा है. राज्यपाल से भाजपा ने अनुरोध किया है कि वह इस दिशा में हस्तक्षेप करें. नहीं तो 18 व 25 अप्रैल को होनेवाले चुनाव लोकतंत्र के लिए घातक साबित होंगे.