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मामले कोर्ट तक नहीं पहुंचे तो ही बेहतर: जस्टिस अल्तमश कबीर

कोलकाता. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सेवानिवृत्त अल्तमश कबीर ने कहा कि देश की अदालतों में बड़ी तादाद में लंबित मामलों को निबटाने की बेहद जरूरत है, लेकिन बेहतर होगा कि मामले कोर्ट तक पहुंचे ही नहीं. कलकत्ता चेंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से मामले के निबटारों के लिए अधिक अदालत या ट्राइब्यूनल […]

कोलकाता. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सेवानिवृत्त अल्तमश कबीर ने कहा कि देश की अदालतों में बड़ी तादाद में लंबित मामलों को निबटाने की बेहद जरूरत है, लेकिन बेहतर होगा कि मामले कोर्ट तक पहुंचे ही नहीं. कलकत्ता चेंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से मामले के निबटारों के लिए अधिक अदालत या ट्राइब्यूनल के गठन के विषय पर आयोजित परिचर्चा में श्री कबीर ने कहा कि विदेश में ऐसी व्यवस्था है कि अदालतों में मामले पहुंचने से पहले संबंधित पक्षों की काउंसिलिंग होती है. विदेशों में तो अदालती खर्च और भी अधिक होता है. यदि मामलों के अदालत में पहुंचने से पहले ही संबंधित पक्षों को यह समझा दिया जाये कि मामले का हश्र क्या हो सकता है तो मामलों की संख्या में कमी आ सकती है. आखिरकार एक हजार डॉलर के नुकसान की भरपाई के लिए लाखों डॉलर यदि मामले में लगते हों तो अदालत कम ही लोग पहुंचेंगे. ट्राइब्यूनल का गठन पहले भी हुआ है लेकिन हालात में खास बदलाव नहीं हुआ है. परिचर्चा में हिमाचल प्रदेश, झारखंड व उत्तराखंड हाइकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस वीके गुप्ता भी उपस्थित थे.

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