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आचार्य तुलसी जन्म शताब्दी पर व्याख्यान माला

कोलकाता. साउथ कलकत्ता श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा की ओर से आचार्य तुलसी जन्म शताब्दी के अवसर पर एक सेमिनार का आयोजन यादवपुर विश्वविद्यालय में किया गया. ‘अनेकांतवाद एंड सोसियो-रिलीजियस कोहेशन’ पर मंगलाचरण रमन पटवारी ने प्रस्तुत किया. स्वागत भाषण प्रो. आनंद देव मुखर्जी ने दिया. की नोट संबोधन में प्रो. अरुण कुमार मुखर्जी ने […]

कोलकाता. साउथ कलकत्ता श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा की ओर से आचार्य तुलसी जन्म शताब्दी के अवसर पर एक सेमिनार का आयोजन यादवपुर विश्वविद्यालय में किया गया. ‘अनेकांतवाद एंड सोसियो-रिलीजियस कोहेशन’ पर मंगलाचरण रमन पटवारी ने प्रस्तुत किया. स्वागत भाषण प्रो. आनंद देव मुखर्जी ने दिया. की नोट संबोधन में प्रो. अरुण कुमार मुखर्जी ने कहा कि जैन दर्शन का महत्वपूर्ण सिद्धांत अहिंसा, अनेकांत और अपरिग्रह है. अनेकांतवाद दूसरों के विचारों को सम्मान देेते हुए सही ढंग से जीना सिखाता है. आगे उन्होंने कहा कि आचार्य तुलसी ने सामाजिक क्षेत्र में एकता की बुनियाद प्रस्तुत करते हुए कहा- इंसान पहले इंसान. समाज शास्त्र की विभागाध्यक्ष प्रो. रूबी सेन ने कहा कि समाज को समझने के लिए धर्म को समझने की जरूरत है. तेरापंथ महासभा के अध्यक्ष कमल कुमार दुग्गड़ ने आचार्य श्री तुलसी के जीवन व अवदानों पर विस्तृत चर्चा की. समणी निर्देशिका डॉ सत्यप्रभा ने कहा कि सच्चाई को समझने के लिए अनेक आयाम चाहिए. अनेकांत इन्ही आयामों की ओर इशारा करता है. प्रमुख वक्ता डॉ रोहिणप्रभा ने पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के साथ अंग्रेजी में 45 मिनट धारा प्रवाह वक्तव्य दिया. उन्होंने कहा कि आचार्य तुलसी, आचार्य महाप्रज्ञ व वर्तमान आचार्य महाश्रमण दूरद्रष्टा आचार्य हैं. साउथ कोलकाता सभा के अध्यक्ष भंवर लाल बैद ने धन्यवाद दिया. संचालन शोधार्थी सुष्मिता ने किया.

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