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नौ मार्च को प्रधानमंत्री से मिलेंगी ममता

कोलकाता: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नौ मार्च को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगी. उनके साथ वित्त मंत्री अमित मित्र के अलावा पश्चिम बंगाल से तृणमूल सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल भी होगा. वह आठ मार्च को दिल्ली रवाना होंगी और अगले दिन प्रधानमंत्री से मिलेंगी. हालांकि इस प्रतिनिधिमंडल में वाम मोरचा के सांसद शामिल […]

कोलकाता: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नौ मार्च को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगी. उनके साथ वित्त मंत्री अमित मित्र के अलावा पश्चिम बंगाल से तृणमूल सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल भी होगा. वह आठ मार्च को दिल्ली रवाना होंगी और अगले दिन प्रधानमंत्री से मिलेंगी.

हालांकि इस प्रतिनिधिमंडल में वाम मोरचा के सांसद शामिल नहीं होंगे.उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहले तृणमूल सांसदों के दल के साथ दिल्ली जाने की बात कही थी, लेकिन गुरुवार को राज्यपाल के अभिभाषण के जवाब में बनर्जी ने इस प्रतिनिधिमंडल में विरोधी दलों को शामिल होने का आह्वान किया था, लेकिन विपक्ष के नेता डॉ सूर्यकांत मिश्र ने प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा था कि इस प्रतिनिधिमंडल में जाने से लाभ क्या है.

उन्होंने कहा कि 22 अगस्त, 2011 को ही उन्होंने मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री को ज्ञापन दिया था. उसमें कई मांगें की गयी थीं. इनमें अल्प संचय पर ऋण माफी की बात कही गयी थी. उन्होंने कहा था कि पहले बंगाल अल्प संचय में प्रथम था, लेकिन अब सभी राशि चिटफंड में चली गयी है, तो अब जाकर क्या होगा.

पश्चिम बंगाल को वित्तीय पैकेज की बात बकवास : ममता
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य को वित्तीय पैकेज दिये जाने संबंधी रिपोर्ट को बकवास करार दिया और अपनी इस मांग पर जोर दिया कि केंद्र कर्ज पर ब्याज काटना बंद करे. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में एलान किया था कि आंध्र प्रदेश की तर्ज पर पश्चिम बंगाल और बिहार को विशेष पैकेज दिया जायेगा. ममता ने यहां एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि फिलहाल कोई ऐसा पैकेज नहीं है. यह सब बकवास है. तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ने कहा : हमें 61.8 फीसदी हिस्सा मिला करता था. अब इसे बढ़ा कर 62 फीसदी किया जा रहा है. हम केंद्र से कहते हैं कि हमसे पैसे ले जाना बंद करें. आप पैसे नहीं काट सकते हैं. बनर्जी ने कहा कि वे लोग पूर्व की यूपीए सरकार के समय से ही ऋण माफी की मांग करते आ रहे हैं. मनमोहन सिंह, प्रणब मुखर्जी से लेकर अरुण जेटली ने कहा था कि 14वीं वित्त आयोग में कुछ निर्णय लिया जायेगा, लेकिन साढ़े तीन साल में राज्य को कुछ नहीं दिया गया. राज्य को वंचित किया गया. ऋण भुगतान की राशि 21 हजार करोड़ रुपये से बढ़ कर 28 हजार करोड़ रुपये हो गयी है. हम भिक्षा नहीं मांग रहे हैं, बल्कि यह हमारा अधिकार है.

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