बजट में केवल आंकड़ों का खेल है. निगम चुनाव को ध्यान में रख कर भी बजट बनाया गया है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कई मद की राशि खर्च नहीं कर पायी है. शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य व कानून व्यवस्था की स्थिति दयनीय है. शिक्षा मंत्री पर विशेष दबाव है.
उच्च शिक्षा व स्कूली शिक्षा के लिए अलग-अलग विभाग होने चाहिए. उन्होंने कहा कि 2014-15 के बजट में राजस्व घाटा 10361.87 करोड़ रुपये थे, 2015-16 के बजट में शून्य हो गया, जबकि बजट घाटा 14-15 में तीन करोड़ रुपये था, जो 2015-16 में बढ़ कर सात करोड़ रुपये हो गया. उन्होंने सवाल किया कि जब राजस्व घाटा शून्य है, तो फिर बजट घाटा सात करोड़ कैसे हो गया.