कोलकाता: पिछले कई महीने से पशु प्रेमियों द्वारा कोलकाता नगर निगम पर लगाये जा रहे आवारा कुत्तों पर अत्याचार के आरोप की सच्चई अब सामने आयी है. निगम ने कबूल किया है कि 21 जून को राइटर्स बिल्डिंग के आस-पास से पकड़े गये 26 आवारा कुत्तों में से छह की मौत हो गयी, जबकि उनमें से दस की पहले ही नसबंदी की जा चुकी थी, जिस में एक पिल्ला भी था.
निगम अधिकिरयों का कहना है कि इन कुत्तों को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर पकड़ा गया था. पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ता ) नियम 2001 के अनुसार आवारा कुत्तों को जहां से पकड़ा जाता है, नसंबदी किये जाने के बाद उन्हें वहीं छोड़ देना चाहिए पर निगम ने जब उन्हें वहां छोड़ने से इनकार कर दिया तो पशु प्रेमियों ने निगम के इस फैसले का विरोध करते हुए भारत के पशु कल्याण बोर्ड एवं मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की.
इन पत्रों की प्रतियां राज्य पशु संसाधन विभाग को सौंपी गयी. जिस पर विभाग ने निगम को पत्र लिखा. इस पर मजबूरी में निगम को इन कुत्तों को छह जुलाई को छोड़ देना पड़ा. पशु प्रेमियों का कहना है कि छोड़े गये कुत्तों की हालत ठीक नहीं है. उन्हें धापा स्थित कुत्तों के बाड़े में सही से खाना व पानी तक नहीं दिया जाता था. एक कुत्ते के बायें पैर में जख्म हो गया था, जिससे उसकी वहीं मौत भी हो गयी. धापा स्थित कुत्तों के बाड़े का निरीक्षण कर लौटे दो पशु प्रेमियों ने आरोप लगाया कि वहां की हालत बयान से बाहर है.
एक पशु प्रेमी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि हम सब को निगम की कार्य संस्कृति की जानकारी है. इन निगम कर्मियों से कुत्तों की सही देखभाल की उम्मीद करना बेवकूफी है. इस बीच भारतीय पशु कल्याण बोर्ड ने कुत्तों की नसंबदी के लिए दिया जाने वाला अनुदान बंद कर दिया है. नसबंदी का काम स्वयंसेवी संस्था को सौंपा गया है, उसे एक कुत्ते की नसबंदी के लिए 445 रुपये दिये जाते हैं, जिसमें से 225 रुपया बोर्ड द्वारा प्रदान की जाती है.