सेना के इस फरमान के अनुसार महानगर में सेना की संपत्ति के 500 मीटर दूरी तक किसी भी प्रकार की बहुमंजिली इमारत के निर्माण की इजाजत नहीं दी जा सकेगी. निर्माण करने की स्थिति में निगम के साथ-साथ रक्षा मंत्रलय से भी अनिवार्य रूप से मंजूरी लेनी होगी.
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गंगा सौंदर्यीकरण मामला: निगम के आवेदन पर ध्यान देने को तैयार नहीं सेना
कोलकाता. सेना और कोलकाता नगर निगम फिर से आमने-सामने है. गंगा सौंदर्यीकरण के मुद्दे पर निगम और सेना के बीच का विवाद अभी तक नहीं सुलझा है, अब सेना ने निगम को एक नोटिस थमा कर सेना के इलाकों के आसपास बहुमंजिली इमारतों के निर्माण पर रोक लगा दी है. सेना के इस फरमान के […]
कोलकाता. सेना और कोलकाता नगर निगम फिर से आमने-सामने है. गंगा सौंदर्यीकरण के मुद्दे पर निगम और सेना के बीच का विवाद अभी तक नहीं सुलझा है, अब सेना ने निगम को एक नोटिस थमा कर सेना के इलाकों के आसपास बहुमंजिली इमारतों के निर्माण पर रोक लगा दी है.
पिछले दिन मेयर ने रक्षा मंत्रालय के इस फैसले की निंदा करते हुए इस फैसले पर पुनर्विचार करने का आवेदन किया था, जिसका सेना ने कोई जवाब नहीं दिया है. अर्थात सेना अपने फैसले पर अटल है. इस मुद्दे पर बातचीत करने के लिए भी निगम प्रशासन हाथ-पैर मार रहा है, पर इस बारे में भी सेना की ओर से कोई हरी झंडी नहीं मिली है. निगम का कहना है कि रक्षा मंत्रलय के इस फैसले से करोड़ों का घाटा होगा. जिन इलाकों में पाबंदी लगायी गयी है, वहां काफी बिल्डिंग प्लान मंजूर किये जा चुके हैं और काफी लोग फ्लैट की बुकिंग कर चुके हैं. कई बड़ी आवासीय परियोजनाएं रुक जायेंगी, पर सेना इन बातों को सुनने के लिए तैयार नहीं है. गौरतलब है कि सेना ने निगम को जिन 19 इलाकों में निर्माण पर रोक लगाने के लिए कहा है, उन इलाकों में फोर्ट विलियमस हेस्टिंग्स, बालीगंज, टर्फ व्यू, बंगाल एरिया कंप्लेक्स, सी डब्लू ई कंप्लेक्स, 11 लायंस, गोकुल रोड, ओडी अलीपुर, बेलबेडियर रो, तारातला लोड, बर्नफिल्ड रोड, दमदम, बागजोला, बरानगर, दक्षिनेश्वर, साहापुर कैंप, सॉल्ट लेक और बेहला साइट शामिल हैं. इन इलाकों में रक्षा मंत्रलय की इमारतें स्थित हैं.
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