मुख्यमंत्री ने यहां के लोगों को मुफ्त में (ओरल रिहाइड्रेशन सॉलुशन) ओआरएस के साथ-साथ जरूरी दवाएं देने की घोषणा की थी, लेकिन जरूरी दवाएं तो दूर रोगियों को अस्पतालों से ओआरएस तक नहीं मिल रहा है. ऐसी बात नहीं है कि फंड की कमी है, क्योंकि अस्पताल के रोगी कल्याण समिति के पास दो करोड़ रुपये का फंड है. इस राशि से भी इन दवाओं को खरीदा जा सकता है.
लेकिन समिति अपने फंड से रुपया नहीं देना चाहती है. ऐसी स्थिति में अगर समिति फंड नहीं देती है, तो समिति पर ही सवाल खड़े हो जायेंगे. ऐसी ही हालत महानगर में स्थित बांगुर इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरो साइंस की है. जानकारी के अनुसार, इस संबंध में डॉक्टर्स फोरम ने स्वास्थ्य विभाग को भी जानकारी दी है, लेकिन विभाग ने अब तक इस बारे में कोई कार्रवाई नहीं की है.
डॉक्टर्स फोरम का कहना है कि बीआइएन में महानगर के साथ ही राज्य के अन्य जिलों से भी लोग इलाज कराने आते हैं. उनके पास इलाज के लिए पैसे नहीं होते हैं. ऐसे में वे दवा कहां से खरीद पायेंगे. गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पिछले वर्ष के आगाज के साथ ही अपनी फेसबुक साइट के माध्यम से लोगों को मुफ्त में ओआरएस सहित अन्य जरूरी दवाएं देने की घोषणा की थी.