वह मानसिक रूप से विक्षिप्त है. पांच अक्तूबर 2013 को शंभु घर से लापता हो गया. काफी खोजबीन के बाद कोई पता नहीं चला. शंभु ट्रेन के जरिये हावड़ा स्टेशन पहुंचा. पुलिस की नजर उस पर पड़ी. पूछताछ करने पर वह कुछ भी बता नहीं सका. फलस्वरूप उसे हावड़ा जनरल अस्पताल में भरती कराया गया. वर्ष 2013 से ही वह अस्पताल में भरती था. घटना की खबर समाजसेवी विक्रम चौधरी को मिली. उन्होंने शंभु से बात की. डेढ़ साल तक इलाज में रहने के कारण उसकी याददाश्त कुछ हद तक लौटी थी.
उसने नाम व पता बताया. श्री चौधरी ने सिटी पुलिस के गुप्तचर विभाग से संपर्क किया. विभाग ने ओंड़ा थाना से संपर्क साधा. मंगलवार को शंभु के मामा विश्वनाथ घोरई व परिवार के तीन सदस्य अस्पताल पहुंचे. कागजी कार्रवाई पूरी की गयी तथा मंत्री अरूप राय व मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी देवाशीष राय की उपस्थिति में शंभु को उसके परिवार के हवाले कर दिया. मामा ने बताया कि शंभु के मिलने की आस उन लोगों ने छोड़ दी थी, लेकिन सिटी पुलिस व स्थानीय लोगों की मदद से उनका भांजा सुरक्षित मिल गया.