पहले नौरत्नों को संभालें पीएम: आजम खान

कोलकाता: अखिलेश सरकार में कैबिनेट मंत्री व समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता आजम खान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भाजपा नेताओं पर लगाम कसने का परामर्श दिया है. महानगर में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए श्री खान ने कहा कि प्रधानमंत्री ने पेशावर घटना की निंदा कर और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री से बात करके एक बड़े […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 18, 2014 1:38 AM

कोलकाता: अखिलेश सरकार में कैबिनेट मंत्री व समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता आजम खान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भाजपा नेताओं पर लगाम कसने का परामर्श दिया है. महानगर में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए श्री खान ने कहा कि प्रधानमंत्री ने पेशावर घटना की निंदा कर और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री से बात करके एक बड़े दिल का सबूत दिया है, पर दूसरों को उपदेश देने से काम नहीं चलेगा. उनकी पार्टी के नेता अगर उनके शांति के उपदेश पर अमल करें, तो बेहतर होगा. नरेंद्र मोदी के मंत्री व सांसद बेलगाम हो गये हैं. कोई पाकिस्तान भेज रहा है तो कोई धर्म व हैसियत पूछ रहा है.

साध्वी निरंजन ज्योति ने भी अशोभनीय बातें कहीं. हालांकि जब तक वह विधायक थीं, उन्होंने कभी भी ऐसा बयान नहीं दिया. सांसद बनने के बाद उन्होंने विवादित बयान इसलिए दिया है कि उन्हें संसद में वैसा माहौल, समर्थन व सहयोग मिला है. योगी अदित्यनाथ की भाषा संविधान से परे है. साक्षी महाराज की बयानबाजी भी निंदनीय है.

उन पर अपनी शिष्या के बलात्कार का आरोप तक लगा हुआ है. उत्तर प्रदेश के राज्यपाल पर निशाना साधते हुए श्री खान ने कहा कि जिस व्यक्ति को सुप्रीम कोर्ट ने एक दिन की सजा दी है, वह राज्यपाल बना बैठा है. बाबरी मसजिद के बारे में उन्होंने राज्यपाल होते हुए जिस प्रकार का बयान दिया है, उससे संवैधानिक मान्यताएं कमजोर हो रही हैं. प्रधानमंत्री को हत्यारा कहे जाने के आरोप का खंडन करते हुए श्री खान ने कहा कि उन्होंने कभी भी प्रधानमंत्री का नाम लेकर कुछ नहीं कहा है और जो कुछ भी कहा है वह गुजरात के परिदृश्य में कहा है. आगरा धर्म परिवर्तन घटना का जिक्र करते हुए श्री खान ने कहा कि जिनका धर्म परिवर्तन कराया गया है, वह स्वयं इस बात से इनकार कर रहे हैं. जिनके पास खाने के लिए कुछ नहीं है, उनका धर्म परिवर्तन क्या मायने रखता है.

इसमें कोई दो राय नहीं है कि बाबरी मसजिद तोड़ी जा चुकी है और वहां एक मंदिर वजूद में आ चुका है. अब जो लोग वहां मंदिर बनवाने की बात कर रहे हैं, उनका मकसद असल में देश का माहौल खराब करना है. इसलाम के अनुसार जिस जगह पर मसजिद बनायी गयी है, वह हमेशा मसजिद ही रहेगी, पर अगर कोई संख्या बल के आधार पर कुछ करना चाहता है तो उस तरह सभी मसजिद तोड़ी जा सकती है. ताजमहल विवाद पर कहा कि ताजमहल दुनिया का अजूबा है. हमारी मांग बस इतनी है कि वहां से होने वाली कमाई मुसलमानों की शिक्षा पर खर्च की जाये, क्योंकि वह जगह वक्फ की है. संवाददाता सम्मेलन के दौरान सपा के प्रदेश अध्यक्ष विजय सिंह भदोड़िया, महासचिव श्यामधर पांडेय व अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे.

सीबीआइ जांच में हस्तक्षेप गलत

सारधा घोटाले की जांच कर रही सीबीआइ राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के निशाने पर है. हालांकि इस बहुचर्चित घोटाले की जांच केवल बंगाल में ही नहीं, बल्कि ओड़िशा और असम में भी हो रही है, पर जिस तरह तृणमूल कांग्रेस ने सीबीआइ को निशाने पर लिया है, वैसा इन राज्यों में दिखायी नहीं दे रहा है.

संसद के अंदर भी तृणमूल सांसद सीबीआइ की जांच के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. इस पर उत्तर प्रदेश के ताकतवर मंत्री आजम खान ने कहा कि सीबीआइ जांच में किसी तरह का हस्तक्षेप करना उचित नहीं है. श्री खान ने कहा कि सीबीआइ या किसी और प्रकार की जांच में किसी का भी हस्तक्षेप करना जायज नहीं है. जांच एजेंसी की रिपोर्ट जमा होने के बाद सामने वाले को अपनी बेगुनाही साबित करने का मौका जरूर मिलता है. उसी वक्त अपनी बात रखनी चाहिए. उत्तर प्रदेश के शहरी विकास मंत्री ने कहा कि मुलजिम व मुजरिम में जमीन-आसमान का फर्क है. यह जरूरी नहीं है कि आरोपी पर आरोप सही साबित हो जाये. यह सब जांच एवं उसके बाद अदालती कार्रवाई पर निर्भर करता है. इसलिए जांच में हस्तक्षेप करना या उस पर उंगली उठाना ठीक नहीं है. सारधा मुद्दे पर मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग पर श्री खान ने कहा कि इस पर वह कुछ नहीं कह सकते हैं. ममता बनर्जी स्वयं इस पर विचार करें. श्री खान ने कहा कि कुछ दिन पहले तक भाजपा ही सीबीआइ के खिलाफ आवाज उठाती रही है. 100 दिन पहले तक भाजपा नेता यह इलजाम लगाते रहते थे कि केंद्र अपने फायदे के लिए सीबीआइ का इस्तेमाल करता है. आज उसी भाजपा के सीबीआइ के बारे में विचार बदल गये हैं. भाजपा जिन मुद्दों व वादों को लेकर सत्ता में आयी है, उन वादों व मुद्दों पर एक अजीब सा भ्रम व सन्नाटा छाया हुआ है. यह स्थिति बेहद खतरनाक है. भारत के लोग आज भी दो करोड़ नौकरी व अपने बैंक खाते में 15 लाख रुपये का इंतजार कर रहे हैं.

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