कोलकाता: पंचायत चुनाव रमजान के महीने में कराने के मुद्दे पर मुसलिम धार्मिक नेताओं व संगठनों में मतभेद उत्पन्न हो गया है. एक तरफ जहां अधिकतर मुसलिम संगठन व धार्मिक नेता इस स्थिति के लिए चुनाव आयोग के साथ-साथ ममता बनर्जी की सरकार को बराबर जिम्मेदार बता रहे हैं, तो दूसरी ओर सत्तारूढ़ दल के करीबी मुसलिम संगठन व धार्मिक नेता इसके लिए राज्य चुनाव आयुक्त मीरा पांडे, माकपा, कांग्रेस व भाजपा को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. रमजान के दौरान पंचायत चुनाव होने ेके मुद्दे पर बुधवार को 16 मुसलिम संगठनों के प्रतिनिधियों ने बैठक की.
चुनाव आयोग व राज्य सरकार दोनों जिम्मेदार : कमरुज्जमां बैठक के बाद ऑल बंगाल माइनोरिटी यूथ फेडरेशन के महासचिव मोहम्मद कमरुज्जमां ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला हमें मंजूर है.
उन्होंने कहा कि हम नहीं चाहते कि अदालत के इस फैसले का विरोध कर कोई संवैधानिक गतिरोध उत्पन्न करें. पर हमारी मांग है कि 19 जुलाई को होनेवाले पंचायत चुनाव की तारीख को बदल कर 18 या 20 जुलाई की जाये, क्योंकि 19 जुलाई को शुक्रवार है.
अगर ऐसा संभव न हो, तो फिर उस दिन चुनाव डयूटी में लगे मुसलिमकर्मियों को दोपहर 12 बजे तक छुट्टी दे दी जाये. मुसलिम इलाकों में चुनाव प्रक्रिया शाम चार बजे तक पूरी कर ली जाये. मुसलिम बहुल इलाकों में मतदान केंद्रों की संख्या दोगुनी की जाये. मुसलिम कर्मियों के लिए नमाज की व्यवस्था की जाये. इन मांगों को लेकर 16 मुसलिम संगठनों के प्रतिनिधि गुरुवार को राज्य चुनाव आयुक्त के दफ्तर व राइटर्स बिल्डिंग जायेंगे. श्री कमरुज्जमां ने कहा कि इस स्थिति के लिए राज्य चुनाव आयोग व राज्य सरकार दोनों ही जिम्मेदार हैं.
वहीं, तृणमूल नेता विजय उपाध्याय ने आरोप लगाया कि अल्पसंख्यकों को चुनाव से दूर रखने के लिए साजिश रची गयी थी, जो नाकाम हो गयी. पूर्व कराटे विश्व चैंपियन प्रोफेसर एमए अली ने कहा कि ममता बनर्जी की सरकार ने दो वर्ष में जो काम कर दिखाया है, उसे करने में वाम मोरचा को 14 जन्म लग जायेंगे.
अल्पसंख्यकों को लेकर राजनीति कर रही तृणमूल : कांग्रेस
पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष प्रदीप भट्टाचार्य ने बुधवार को कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय को लेकर तृणमूल सरकार राजनीति कर रही है. यदि ऐसा नहीं होता तो पंचायत चुनाव की तिथि को लेकर सुप्रीम कोर्ट के दिये पहले निर्देश के दौरान ही तृणमूल सरकार आवाज बुलंद कर सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. निर्देश के बाद सुप्रीम कोर्ट में तृणमूल सरकार ने याचिका की. मौजूदा स्थिति के लिए राज्य सरकार ही जिम्मेदार है.
संविधान का उल्लंघन कर रही सरकार : माले
पंचायत चुनाव को लेकर तृणमूल सरकार लगातार असंवैधानिक व गैरकानूनी कार्य कर रही है. यह आरोप भाकपा (माले)की पोलित ब्यूरो के सदस्य कार्तिक पाल ने बुधवार को लगाया है. उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव से पहले ही जिलों में हिंसक घटनाएं जारी हैं. इन घटनाओं को तृणमूल कार्यकर्ता अंजाम दे रहे हैं. महिलाओं के खिलाफ आपराधिक घटनाओं में वृद्धि, किसानों की आत्महत्या व अराजक स्थिति के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है.