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बढ़ते संपर्क की बात जान भड़के आयुक्त

कोलकाता: लालबाजार के डीडी विभाग के कुछ कर्मियों का गुपचुप तरीके से अपराधियों से तालमेल का किस्सा काफी पुराना है, लेकिन इस पुराने किस्से पर नयी परत तब चढ़ी, जब इसकी शिकायत कोलकाता पुलिस आयुक्त को एक पत्र भेजकर की गयी. इसे पढ़ने के बाद कोलकाता पुलिस आयुक्त सुरजीत कर पुरकायस्थ गुस्से से सुलग पड़े […]

कोलकाता: लालबाजार के डीडी विभाग के कुछ कर्मियों का गुपचुप तरीके से अपराधियों से तालमेल का किस्सा काफी पुराना है, लेकिन इस पुराने किस्से पर नयी परत तब चढ़ी, जब इसकी शिकायत कोलकाता पुलिस आयुक्त को एक पत्र भेजकर की गयी.

इसे पढ़ने के बाद कोलकाता पुलिस आयुक्त सुरजीत कर पुरकायस्थ गुस्से से सुलग पड़े और पुलिस मुख्यालय में संयुक्त पुलिस आयुक्त व अतिरिक्त पुलिस आयुक्त के साथ बैठक की. बैठक में सीपी ने अधिकारियों को उनकी जानकारी के बिना निचले स्तर के किसी भी कर्मियों को किसी भी मामले में कोई फैसला लेने पर तुरंत सस्पेंड करने को कहा. साथ ही डीडी विभाग के कुछ कर्मियों के जल्द तबादले के निर्देश भी दिये.

क्या लिखा था पत्र में
घटना विगत 14 जून की है. पुलिस सूत्रों के मुताबिक उस दिन कोलकाता पुलिस आयुक्त को किसी आम नागरिक का एक पत्र मिला. पत्र में कोलकाता पुलिस के नारकोटिक्स व एआरएस (एंटी राउडी स्कावायड) के कुछ कर्मियों के पोर्ट इलाके के अपराधियों से सांठगांठ के कारण ड्रग के तीन सौदागरों को गिरफ्तार कर उन्हें जल्द रिहा करने पर सवाल उठाया गया था.

पत्र के अनुसार पोर्ट इलाके के मोमिनपुर से गत 10 मार्च को 20 किलो चरस के साथ तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन उनके नेता व पुलिसकर्मियों से सांठगांठ के कारण तीनों को रिहा कर दिया गया. पत्र मिलने पर घटना की जांच की गयी. पता चला पूरा फैसला वरिष्ठ अधिकारियों को अंधेरे में रखकर लिया गया. इसके बाद सीपी ने भविष्य में संयुक्त पुलिस आयुक्त व अतिरिक्त पुलिस आयुक्त को बिना बताये इस तरह के फैसले लेने पर तुरंत सस्पेंड करने का निर्देश दिया है.

क्या है मामला
नारकोटिक्स विभाग की टीम ने बीते 10 मार्च को मोमिनपुर में तीन लोगों को 20 किलो चरस के साथ गिरफ्तार किया था. तीनों 400 रुपये के किराये पर एक बंद गोदाम में चरस का धंधा कर रहे थे. बताया जाता है कि इनमें से दो पर एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज करने के बजाय छोटा मामला दर्ज किया गया. तीनों की गिरफ्तारी के बाद एआरएस विभाग के एक कर्मी के कहने पर उन्हें रिहा कर दिया गया था. किसी भी वरिष्ठ अधिकारी को इसकी जानकारी नहीं थी. तीनों फिर से इलाके में धंधा करने लगे. इसकी शिकायत ही सीपी से की गयी थी.

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