कोलकाता: सारधा सहित अन्य चिटफंड कंपनियों की धोखाधड़ी पर लगाम लगाने के लिए सोमवार से विधानसभा का विशेष सत्र शुरू होगा. सोमवार को मृतकों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद विधानसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी जायेगी.
मंगलवार को विधानसभा में नया विधेयक इंटरेस्ट ऑफ डिपॉजिटर्स इन फाइनेंशियल इस्टेब्लिशमेंट बिल 2013 पेश किया जायेगा. इस विधेयक के माध्यम से चिट फंड कंपनियों पर लगाम लगाने की कोशिश की जायेगी. उल्लेखनीय है कि पूर्व वाम मोरचा सरकार ने 2009 में वेस्ट बंगाल प्रोटेक्शन ऑफ डिपॉजिटर्स इंटरेस्ट इन फाइनेंशियल इंस्टीटय़ूशन बिल 2009 पेश किया था. सारधा चिटफंड घोटाले का पर्दाफाश होने के बाद वर्तमान सरकार ने इस विधेयक को वापस कर लिया है. राज्य के संसदीय मामलों के मंत्री पार्थ चटर्जी ने बताया कि राज्य सरकार पूर्व विधेयक को वापस लेने के लिए विधानसभा में प्रस्ताव पेश करेगी. उसके बाद नया विधेयक पेश करेगी.
राज्य सरकार का कहना है कि इस विधेयक का कानूनी रूप लेने के बाद जमाकर्ताओं के साथ धोखाधड़ी करने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकेगी, लेकिन संवैधानिक विशेषज्ञों का कहना है कि इस विधेयक के कानून रूप लेने के बाद विधेयक के पहले या सारधा समूह के मामले इसमें शामिल नहीं हो पायेंगे. संवैधानिक विशेषज्ञों का मानना है कि पूर्व विधेयक राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के लिए विचाराधीन था. वर्तमान सरकार ने पूर्व विधेयक को कमजोर बताते हुए नये विधेयक पर जोर दिया है.
पूर्व विधेयक पर यदि राष्ट्रपति हस्ताक्षर कर देते तो उसे तत्काल लागू किया जा सकता था, लेकिन नये विधेयक पर राज्यपाल के हस्ताक्षर व बाद में राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने में कम से कम छह माह लगेंगे, तब तक सारधा समूह पर कोई कार्रवाई नहीं हो पायेगी, उनका कहना है कि पुराने विधेयक और नये विधेयक में कोई खास अंतर नहीं है. वाम मोरचा सरकार के विधेयक में चिटफंड कंपनियों पर निगरानी व नियंत्रण रखने का दायित्व कोलकाता में पुलिस आयुक्त तथा जिले में कलेक्टरों का था, लेकिन प्रस्तावित विधेयक में इन कंपनियों पर निगरानी का दायित्व राज्य पुलिस के अधीन आर्थिक अपराध मामले के निदेशक के पास होगा. वाम मोरचा शासन के विधेयक में प्रावधान है कि यदि जमाकर्ताओं के साथ धोखाधड़ी की जाती है, तो कंपनी की संपत्ति जब्त कर ली जायेगी.
कंपनी को पूरे विवरण प्राधिकरण को भेजने होंगे, जबकि नये प्रस्तावित विधेयक में प्राधिकृत प्राधिकारी को संपत्ति को सर्च करने, जब्त व कुर्क करने का अधिकार है. पूर्व विधेयक में सपंत्ति को एक साल के अंदर जब्त करने का अधिकार था, लेकिन प्रस्तावित विधेयक में संपत्ति को 180 दिनों के भीतर जब्त करने का प्रावधान है.