कोलकाता: पंचायत चुनाव के पहले हावड़ा लोकसभा उपचुनाव का परिणाम काफी अहम माना जा रहा है. यह राज्य की राजनीति की दिशा तय करेगा. सांसद अंबिका बनर्जी के निधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ है. बुधवार को मतगणना होगी. विधानसभा चुनाव के बाद हुए उपचुनावों में तृणमूल कांग्रेस प्राय: सभी चुनावों में विजय हासिल करते आयी है, लेकिन तृणमूल कांग्रेस के शासन के दो वर्ष के बाद किसी भी लोकसभा का यह पहला चुनाव है.
हालांकि हाल में हुए विधानसभा उपचुनाव में इंग्लिश बाजार से तृणमूल कांग्रेस, जंगीपुर से वामो के उम्मीदवार व रेजीनगर से कांग्रेस के उम्मीदवार विजयी हुए थे. तृणमूल कांग्रेस को दो सीटों से हाथ धोना पड़ा था. इस लोकसभा उपचुनाव में सारधा समूह के चिटफंड धोखाधड़ी से लेकर राज्य में बिगड़ी कानून व्यवस्था जैसे मुद्दे को विरोधी दलों ने मुद्दा बनाया था. वहीं, तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार ने दो वर्षो तक राज्य सरकार के कामकाज को मुद्दा बनाया था.
यह चुनाव परिणाम राज्य की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है. विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद हासिये पर पहुंचा वाममोरचा व तृणमूल कांग्रेस के साथ गंठबंधन तोड़ कर अकेला चुनाव लड़ रही कांग्रेस ने चुनाव के दौरान पूरी ताकत झोंक दी है. चुनाव परिणाम से राज्य में वाममोरचा के भविष्य की राजनीति भी तय करेगा. इस परिणाम से यह भी स्पष्ट हो जायेगा कि तृणमूल कांग्रेस व कांग्रेस के बीच गंठबंधन टूटने का नुकसान होता या नहीं. क्या तृणमूल कांग्रेस की लोकप्रियता पहले की तरह बनी हुई है या दोनों के बीच गंठबंधन टूटने का लाभ वाममोरचा को मिलेगा. इस चुनाव के एक और भी महत्वपूर्ण पहलू यह रहा है कि भाजपा ने अपना उम्मीदवार वापस ले लिया था.
हालांकि विरोधी दल वाममोरचा व कांग्रेस इसमें तृणमूल कांग्रेस व भाजपा के बीच मिलीभगत का आरोप लगा रहे थे. इस आरोप में कितनी सच्चई है, यह तो भविष्य ही तय करेगा, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा का चुनावी मैदान से हटने का तृणमूल कांग्रेस को कोई लाभ मिलता है कि नहीं. वर्ष 2009 में हुए लोकसभा चुनाव के आंकड़ों को देखें तो हावड़ा लोकसभा सीट पर माकपा व तृणमूल उम्मीदवारों के बीच कांटे की टक्कर हुई थी. माकपा उम्मीदवार स्वदेश चक्रवर्ती, तृणमूल के अंबिका बनर्जी से करीब 37,392 वोटों के अंतर से परास्त हुए थे.