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कोलकाता : मुकुल को नहीं मांगनी होगी माफी : कोर्ट

विश्व बांगला मुद्दे पर अभिषेक को झटका कोलकाता : विश्व बांग्ला लोगो को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे की जागीर बताते हुए मुकुल राय ने जालसाजी का आरोप लगाया था. इसके खिलाफ अलीपुर अदालत में एक मुकदमा दर्ज हुआ था, जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने मुकुल राय को 30 दिन के अंदर माफी […]

विश्व बांगला मुद्दे पर अभिषेक को झटका
कोलकाता : विश्व बांग्ला लोगो को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे की जागीर बताते हुए मुकुल राय ने जालसाजी का आरोप लगाया था. इसके खिलाफ अलीपुर अदालत में एक मुकदमा दर्ज हुआ था, जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने मुकुल राय को 30 दिन के अंदर माफी मांगने का आदेश दिया था.
उस फैसले को मुकुल राय ने हाईकोर्ट में चुनौती दी. पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुकुल राय ने कहा कि शुक्रवार को मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने निचली अदालत के आदेश को सिरे से खारिज कर दिया. ऐसे में उनके माफी मांगने का सवाल ही नहीं उठता, लेकिन उन्होंने जो सवाल उठाया था, उस पर जवाब देने की जिम्मेवारी अब राज्य सरकार और अभिषेक बनर्जी की है.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को विश्व बांग्ला लोगो का ट्रेड मार्क इस साल के 16 जून में मिला है.साल 2013 से यह ट्रेड मार्क अभिषेक बनर्जी के पास था, जिसको लेकर उन्होंने सवाल उठाया था. खुद अलीपुर अदालत में अभिषेक ने एफिडेविट दायर कर कहा था कि वह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कहने पर इसका मालिकाना हक लिये हैं. हालांकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधानसभा कक्ष में दावा किया था कि विश्व बांग्ला लोगो को वह खुद बनायी हैं और उसको राज्य सरकार को उपयोग करने के लिए दिया है.
ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब विश्व बांग्ला का लोगो का मालिकाना राज्य सरकार को 16 जून 2018 को मिला है तो इसके पहले उसके नाम पर विदेश सफर, बिजनेस समिट जैसे कार्यों को निपटाया गया. धनराशि खर्च किसने किया और किसको फायदा पहुंचा यह बताने की जिम्मेवारी अब मुख्यमंत्री की है. मुकुल ने दावा किया कि वह आज भी पुराने स्टैंड पर कायम हैं और उनका आरोप है कि विश्व बांग्ला के नाम पर बड़ा घोटाला हुआ है, इसकी जांच होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि वह चोर (वामपंथियों) को हटाने के लिए डकैत (तृणमूल कांग्रेस) पर भरोसा कर उनको बंगाल की सत्ता पर पहुंचाने का गुनाह किया है.
अब वह इसका प्रायश्चित करना चाहते हैं, ताकि बंगाल में लोकतंत्र कायम रहे. उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी ने चुनाव के दौरान सभी बंद कल कारखानों को खोलने का वादा किया था, उन्होंने एक करोड़ बेरोजगार नौजवानों को रोजगार देने के साथ पश्चिम बंगाल का विकास करने का वादा किया था, लेकिन उसमें एक को भी पूरा नहीं किया. जनता यह जानती थी कि यह संभव नहीं है. बावजूद इसके अपने लोकतांत्रिक अधिकारों को पाने के लिए वह ममता बनर्जी पर भरोसा की, लेकिन आज इस मामले में भी जनता खुद को ठगा महसूस कर रही है.
यहां लोकतंत्र नाम की कोई चीज नही रह गयी है. लोग इससे निजात पाना चाहते हैं. आलम यह है कि भाजपा के कहने के पहले खुद वामपंथी सोमनाथ चटर्जी व प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधुरी यहां पर राष्ट्रपति शासन की मांग कर रहे हैं. केंद्र से हस्तक्षेप करने की बात कह रहे हैं.
आलम यह है कि पंचायत चुनाव में जीतने वाले भाजपा उम्मीदवारों पर हमला हो रहे हैं. उनको तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के लिए अत्याचार किया जा रहा है, लोगों का घर जलाया जा रहा है. ममता बनर्जी लोकतंत्र की दुहाई दे रही हैं. जनता सब देख रही है और इन सब मुद्दों को लेकर भाजपा जनता के दरबार में जा रही है.
मुकुल को सुरक्षा देने पर राज्य सरकार राजी
कोलकाता : भाजपा नेता मुकुल राय की सुरक्षा व्यवस्था करने को राज्य सरकार राजी है. शुक्रवार को कलकत्ता हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ज्योतिर्मय भट्टाचार्य व न्यायाधीश अरिजीत बंद्योपाध्याय की खंडपीठ ने मुकुल राय की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर दायर जनहित याचिका में राज्य के अतिरिक्त एडवोकेट जनरल अभ्रतोष मजूमदार ने इसकी जानकारी दी.
उन्होंने अदालत में बताया कि राज्य में सुरक्षा संबंधी विषय में सुरक्षा देने का दायित्व राज्य का ही है, इसलिए मुकुल राय को सुरक्षा देने में राज्य सरकार को कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन उन्हें किस कैटेगरी की सुरक्षा दी जायेगी, इस संबंध में उनके पास निर्देश नहीं है. मामले की अगली सुनवाई में वह इसके बारे में जानकारी देंगे.
मामले की अगली सुनवाई छह जुलाई को है. उल्लेखनीय है कि विधाननगर नगर निगम के पार्षद देवराज चक्रवर्ती ने जनहित याचिाक दायर कर मुकुल राय को केंद्र सरकार द्वारा सुरक्षा दिये जाने पर सवाल उठाया था. वहीं, जब प्रदेश मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में मुकुल राय से पूछा गया कि क्या वह राज्य सरकार द्वारा दी जानेवाली सुरक्षा को लेना स्वीकार करेंगे. इस पर उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव ही हास्यास्पद है, क्योंकि पहले उन्हें यही सरकार वाइ कैटेगरी की सुरक्षा देती थी. लेकिन जैसे ही वह भाजपा में शामिल हुए, उनकी सुरक्षा हटा ली गयी.
उन्होंने खुद पर खतरे को भांपते हुए केंद्र सरकार से गुजारिश की थी, जिसे मानते हुए केंद्र सरकार ने उन्हें सुरक्षा प्रदान की. इसके खिलाफ तृणमूल कांग्रेस के ही एक नेता ने हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. इस पर सुनवाई करते हुए जब अदालत ने उनके पक्ष में सवाल किया, तो अब राज्य सरकार उनकी सुरक्षा देने की बात कह रही है. दरअसल यह इस सरकार को दोहरे चरित्र को दर्शाता है.
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र नहीं है यह इस बात से भी साबित होता है कि पिछले 34 वर्षों तक जब वामपंथी सरकार थी, उस वक्त उन पर कोई मुकदमा नहीं था. इस सरकार के आने के बाद तक उन पर मुकदमे नहीं थे. जब वह भाजपा में शामिल होने की बात किये, तो सबसे पहले उनकी सुरक्षा हटा ली गयी. भाजपा में शामिल होने के बाद अब तक विभिन्न जगहों पर उन पर अलग-अलग धाराओं में उनके खिलाफ 17 मुकदमेे दर्ज किये गये हैं.

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