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प्रदूषण से बचने की कवायद, नयी प्रक्रिया को अमल में लाने में जुटी कोलकाता पुलिस
कोलकाता : पश्चिम बंगाल में दुर्गा मूर्तियों का विसर्जन अपने आप में एक उत्सव है. पिछले साल केवल शहर के घाटों पर ही 1000 से ज्यादा मूर्तियों का विसर्जन किया गया था. घाटों के साथ ही दुर्गा प्रतिमाओं के अवशेष शहर के पर्यावरण एक्टिविस्ट्स के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. विसर्जन प्रक्रिया के […]
कोलकाता : पश्चिम बंगाल में दुर्गा मूर्तियों का विसर्जन अपने आप में एक उत्सव है. पिछले साल केवल शहर के घाटों पर ही 1000 से ज्यादा मूर्तियों का विसर्जन किया गया था. घाटों के साथ ही दुर्गा प्रतिमाओं के अवशेष शहर के पर्यावरण एक्टिविस्ट्स के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. विसर्जन प्रक्रिया के लिए लंबे इंतजार में भी हादसों का जोखिम होता है. कोलकाता पुलिस ने इसे ध्यान में रखते हुए एक निर्णय लिया है.
अब विसर्जन की पुरानी प्रक्रिया बंद हो जायेगी, क्योंकि शहर के घाटों पर प्रतिमा विसर्जन अब कन्वेयर बेल्ट सिस्टम के साथ किया जायेगा. बेल्ट के अलावा मूर्तियों की संख्या का रिकॉर्ड रखने और आयोजकों के दस्तावेजों को सत्यापित करने के लिए एक स्वचालित मशीन का उपयोग किया जायेगा. कन्वेयर बेल्ट के उपयोग के साथ पुलिस विसर्जन प्रक्रिया को पर्यावरण के अनुकूल बनाने का अभ्यास भी शुरू करेगी.
कोलकाता पुलिस ने शहर में बाजे कदमताल घाट में प्रक्रिया को लागू करने के लिए पहले से ही निविदा की मांग की है. इसकी लागत 12 करोड़ होगी और नीलामी में इससे जुड़ी जिम्मेदारियां सौंपी जायेंगी. कोलकाता पुलिस मुख्यालय लालबाजार के एक अधिकारी ने कहा : यह कदम नैशन ग्रीन ट्राइब्यूनल के निर्देश के बाद लिया गया है. शहर की 4000 दुर्गा पूजा में से 800-900 मूर्तियां बाजे कदमताल घाट में विसर्जित होती हैं. हालांकि फोरम फॉर दुर्गोत्सव के संयुक्त सचिव स्वास्त बसु ने कहा : हमें अभी तक इस बारे में सूचित नहीं किया गया है.
18 साल पहले पर्यावरण कार्यकर्ता सुभाष दत्ता ने पहली बार मूर्ति विसर्जन के कारण जल प्रदूषण के खिलाफ आवाज उठाई थी. बाद में सुनवाई एनजीटी में हुई और अदालत ने फिर राज्य सरकार से इस पर कदम उठाने को कहा. सुभाष दत्त ने कहा : अगर पुलिस ने ऐसा कोई कदम उठाया है तो खुशी की बात है.
हमें यह जानने की जरूरत है कि विसर्जन के बाद प्रदूषित पानी को कैसे हटाया जायेगा. राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष कल्याण रुद्र ने कहा : यह परियोजना केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देशन में लागू की जायेगी.
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