कोलकाता : उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष व झारखंड के गिरिडीह के मकडीहा के मूल निवासी डॉ सदानंद प्रसाद गुप्त ने साहित्य को जन-जन तक पहुंचाने का आह्वान करते हुए कहा कि वह विभिन्न राज्यों के साहित्यिक संस्थानों के साथ संयुक्त रूप से हिंदी व अन्य भाषाओं के साहित्य को समृद्ध करने के लिए विचार-गोष्ठी का आयोजन करेंगे.
डॉ गुप्त ने रविवार को कोलकाता माहुरी कल्याण मंडल के तत्ववाधान में मानिकतल्ला बाजार व्यवसायी समिति कार्यालय में आयोजित सम्मान समारोह में ये बातें कहीं. उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के अध्यक्ष खुद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं.
डॉ गुप्त के नेतृत्व में हाल में उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा पंजाब के लुधियान में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया था.बिड़ला पुरस्कार, व्यास सम्मान, सरस्वती सम्मान सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों के निर्णायक मंडल में रहे प्रोफेसर गुप्त साहित्यकारों की संस्था अखिल भारतीय साहित्य परिषद के सदस्य भी हैं और फिलहाल साहित्यिक पत्रिका ‘समन्वय’ का संपादन भी कर रहे हैं. वह भारत सरकार के दूरसंचार विभाग की हिंदी सलाहकार समिति के सदस्य व गीताप्रेस से निकलने वाली प्रसिद्ध ‘कल्याण’ पत्रिका व गीतावाटिका से जुड़े रहे हैं.
गोरखपुर विश्वविद्यालय में पूर्व प्रोफेसर डॉ गुप्त ने कहा कि पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, झारखंड सहित उत्तर पूर्व के राज्यों में भी हिंदी संस्थानों के साथ हिंदी व अन्य भाषा के साहित्य पर विचार गोष्ठी का आयोजन करेंगे. उन्होंने कहा कि 18-20 अगस्त को मॉरीशस में होने वाले विश्व हिंदी सम्मेलन के 11वें संस्करण में उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का प्रतिनिधिमंडल हिस्सा लेगा.
उन्होंने कहा कि साहित्य मनुष्य को बेहतर इंसान बनाता है. मनुष्य को मनुष्यता से साक्षात्कार कराता है. साहित्य केवल फायदे-नुकसान की चीज की नहीं है, वरन साहित्य हमारे हृदय को विस्तृत और विशाल कर देता है. अपने दिल में साहित्य को अवश्य ही स्थान देना चाहिए. अपने से बाहर निकालने का काम साहित्य करती है, यह राजनीति नहीं कर सकती है.हालांकि साहित्य से क्रांति पैदा नहीं होती है, लेकिन साहित्य चिंगारी अवश्य पैदा करता है.
उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति बहुत ही पुरानी है और समृद्ध है, लेकिन वामपंथी व पश्चिम के इतिहासकारों ने भारतीय इतिहास का विकृत किया है और गलत तथ्य पेश किये हैं.कार्यक्रम के आयोजन में कोलकाता माहुरी मंडल के महासचिव अजय गुप्ता, सह-अध्यक्ष बिजय तरवे, रमेश चंद्र गुप्ता, अनिल गुप्ता, विनोद लोहानी, देवेश अठघरा, बृजलाल गुप्ता, बृजेश वैश्यकियार सहित अन्य की महत्वपूर्ण भूमिका रही.