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नतीजों को देख तृणमूल के कई सांसद और विधायक मेरे संपर्क में : दिलीप
कहा : तृणमूल के नेता ममता के यूज एंड थ्रो की नीति को पहचान गये हैं कोलकाता : प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने पार्टी मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भले ही वह (मुख्यमंत्री) दावा करें कि भाजपा की सीट पर जीतनेवाले कई लोग उनकी पार्टी के संपर्क में हैं, लेकिन […]
कहा : तृणमूल के नेता ममता के यूज एंड थ्रो की नीति को पहचान गये हैं
कोलकाता : प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने पार्टी मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भले ही वह (मुख्यमंत्री) दावा करें कि भाजपा की सीट पर जीतनेवाले कई लोग उनकी पार्टी के संपर्क में हैं, लेकिन हकीकत यह है कि पंचायत चुनाव में भाजपा ने जिस तरह से प्रदर्शन किया है, उसको देखते हुए तृणमूल कांग्रेस के कई सांसद और विधायक उनके संपर्क में हैं.
उन्होंने कहा कि बंगाल में पंचायत चुनाव को लेकर जिस तरह से हिंसा हुई और चुनाव के बाद जिस तरह हिंसा का दौर जारी है, उससे पूरे देश में ममता सरकार का असली चेहरा उजागर हो गया है.
ममता बनर्जी के कारण पूरे देश व विदेश में बंगाल की छवि खराब हुई है. ऐसे में जब प्रधानमंत्री बंगाल की हालत को लेकर चिंता जताते हैं तो मुख्यमंत्री उसका विरोध करती हैं, जबकि उनको आत्ममंथन करना चाहिए कि प्रधानमंत्री को बंगाल के बारे में इस तरह क्यों कहना पड़ा.
उन्होंने कहा कि तृणमूल के नेता ममता बनर्जी के यूज एंड थ्रो की नीति को पहचान गये हैं. यही वजह है कि जंगलमहल ने उनको माकूल जवाब दिया है.
माकपा का मुकाबला करने के लिए ममता बनर्जी किशनजी को लेकर आगे बढ़ी और आदिवासियों की आड़ में छत्रधर महतो को लेकर राजनीति करना शुरू की और सत्ता में आने के बाद किशनजी को मरवा दी और छत्रधर को जेल भिजवा दी. जंगलमहल के लोग ममता बनर्जी के इस विश्वासघातक नीति को स्वीकार नहीं कर पाये.
इसके अलावा जंगलमहल में विकास की गंगा बहाने का जो दावा वह लोगों से कर रही थीं, वह भी झूठा था, जिसे वहां की जनता जानती है. इसलिए वह लोग वोट के मार्फत ममता बनर्जी को सही जवाब दिये. उन्होंने कहा कि आज जो हालात जंगलमहल का है वह अगले लोकसभा चुनाव तक पूरी तरह से बदल जायेगा. यहां से तृणमूल कांग्रेस के एक भी सांसद भाजपा जीतने नहीं देगी.
उन्होंने कहा कि गौर करने की बात यह है कि ममता बनर्जी को किसी पर भरोसा नहीं रहा. मारपीट कर नामांकन रोकने, विरोधी दल के उम्मीदवारों को नाम वापस लेने के लिए दबाव बनाने और चुनाव में व्यापक रिगिंग करने के बाद भी उनको अपने कार्यकर्ताओं पर भरोसा नहीं था.
इस वजह से मतगणना केंद्र के अंदर छप्पा वोट देने की नौबत आ गयी. इसके अलावा जिन सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार जीत रहे थे, वहां से भाजपा के लोगों को मारपीट कर हटा दिया गया और जबरिया तृणणूल कांग्रेस की जीत का एलान किया गया. कुल मिलाकर लोकतंत्र की जिस तरह से हत्या हुई और इस दौरान हिंसा का जो माहौल बना, वह राज्य को राष्ट्रपति शासन की ओर ही ले जा रहा है, क्योंकि चुनावी हिंसा में अब तक 65 लोगों की मौत हो गयी, जिसमें भाजपा के लोगों की संख्या 19 है और बाकी लोगों में विरोधी दल के कुछ लोगों को छोड़ दें तो मरनेवालों में तृणमूल कांग्रेस के गुंडे शामिल हैं.
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