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कोलकाता : आवारा की तरह घूमनेवाला आतंकी भी हो सकता है

पुलिस रिकार्ड में प्रति वर्ष देश में करीब 48 हजार बच्चे गायब होते हैं कोलकाता : स्टेशनों, बाजारों या अन्य किसी सार्वजनिक जगहों में घूमने वाले संदिग्ध लोग सुरक्षा को लेकर बड़ा खतरा हो सकते हैं. ये भिखारी, नशेड़ी, पागल या अन्य भी हो सकते हैं. ऐसे कुछ लोग सुरक्षा के लिए इसलिए सवाल बने […]

पुलिस रिकार्ड में प्रति वर्ष देश में करीब 48 हजार बच्चे गायब होते हैं
कोलकाता : स्टेशनों, बाजारों या अन्य किसी सार्वजनिक जगहों में घूमने वाले संदिग्ध लोग सुरक्षा को लेकर बड़ा खतरा हो सकते हैं. ये भिखारी, नशेड़ी, पागल या अन्य भी हो सकते हैं.
ऐसे कुछ लोग सुरक्षा के लिए इसलिए सवाल बने हुए हैं, क्योंकि पुलिस और प्रशासन के पास उनकी पहचान संबंधित कोई पुख्ता जानकारी नहीं होती है. गत वर्ष मुंबई के वडाला लोहमार्ग थाना इलाके में किसी अप्रिय घटना को अंजाम देने के लिए भिखारियों, नशेड़ियों के इस्तेमाल किये जाने की आशंका के तहत बड़ी कार्रवाई की गयी थी, जिसके तहत 18 लोगों को पकड़ा गया था.
इनमें से 14 की पहचान मिलने के बाद छोड़ दिया गया, जबकि चार लोगों को अदालत ने होम में रखने का निर्देश दिया. हाल के कुछ महीनों में कोलकाता व अन्य जिलों से कोलकाता पुलिस के विशेष कार्यबल (एसटीएफ) ने कुछ संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया था.
गिरफ्तार आतंकियों की गिरफ्तारी से इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि उनकी गतिविधि पश्चिम बंगाल में भी है. हालांकि किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पुलिस और प्रशासन पूरी तरह से सतर्क है.
लेकिन इस संभावना को भी पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता है कि राज्य में किसी अप्रिय घटना को अंजाम देने के लिए आतंकी संगठन व अपराधी भिखारी, नशेड़ी या सार्वजनिक इलाकों में घूमने वाले संदिग्ध लोगों का इस्तेमाल ना करें. बातें तो सुरक्षा को लेकर हुईं लेकिन ऐसे भिखारी (बच्चे भी हो सकते हैं), नशेड़ी जिनके पास सटीक पहचान नहीं हैं वे आपराधिक गतिविधियों में भी शामिल हो सकते हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार हर वर्ष काफी संख्या मेें बच्चों को भीख मांगने के धंधे में जबरन धकेला जाता है.
ऐसे बच्चें पॉकेटमारी व अन्य आपराधिक गतिविधियों में भी लिप्त हो सकते हैं. देश में भीख मंगवाने वाले माफिया जैसे एक बड़ा व्यवसाय बन गया है. पुलिस रिकार्ड के अनुसार प्रति वर्ष देश में करीब 48 हजार बच्चे गायब होते हैं. इनमें से कई नहीं मिलते.
सूत्रों के अनुसार कई बच्चे भीख मंगवाने वाले माफिया के चंगुल में भी फंस जाते हैं और उनकी हाथों में किताबों की जगह भीख के लिए कटोरा आ जाता है.
हाल में ही सामाजिक कल्याण मंत्रालय की ओर से बताया गया था कि मौजूदा समय में भारत में कुल 4,13,760 भिखारी हैं. सबसे ज्यादा भिखारियों की संख्या पश्चिम बंगाल में है. जानकारों के अनुसार ऐसे भी भिखारी हैं, जिनकी पहचान उपलब्ध नहीं हो पाती. संभवत: वे ही सुरक्षा को लेकर प्रश्न बने हुए हैं.

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