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जेल में हत्या: प्रेसिडेंसी जेल का लोकल वार्डन हुआ निलंबित हेड वार्डन को शोकॉज

कोलकाता: प्रेसिडेंसी जेल के अंदर एक हाइप्रोफाइल केस के सजा प्राप्त कैदी हरप्रीत सिंह उर्फ हैप्पी सिंह के कत्ल के मामले की जांच करते हुए दो जेलकर्मियों पर गाज गिरी है. जेल के अंदर घटना के समय लोकल वार्डन के तौर पर तैनात राकेश विश्वास को सस्पेंड कर दिया गया है, जबकि हेड वार्डन मोहम्मद […]

कोलकाता: प्रेसिडेंसी जेल के अंदर एक हाइप्रोफाइल केस के सजा प्राप्त कैदी हरप्रीत सिंह उर्फ हैप्पी सिंह के कत्ल के मामले की जांच करते हुए दो जेलकर्मियों पर गाज गिरी है.

जेल के अंदर घटना के समय लोकल वार्डन के तौर पर तैनात राकेश विश्वास को सस्पेंड कर दिया गया है, जबकि हेड वार्डन मोहम्मद इशाद अली को शोकॉज किया गया है. राज्य के एडीजी (कारागार) अधीर शर्मा ने बताया कि जेल के अंदर एक कैदी के कत्ल की खबर मिलते ही डीआइजी (वेलफेयर) सुदीप्त चक्रवर्ती को मामले की जांच का निर्देश दिया गया था. जांच में घटना के समय हैप्पी सिंह के साथ वहां मौजूद दो अन्य कैदियों से बात की गयी. इसके अलावा वहां के अन्य जेलकर्मियों से बातचीत के दौरान दो कर्मियों को दोषी पाया गया. जांच की रिपोर्ट अधीर शर्मा को मंगलवार को सौंपी गयी, जिसके बाद दोनों कर्मियों पर कार्रवाई हुई.

गृह सचिव को सौंपी जायेगी रिपोर्ट
नवान्न सूत्रों के मुताबिक, गार्डेनरीच कांड में कोलकाता पुलिस के सब इंस्पेक्टर को गोली मारने की घटना की जांच सीआइडी को दी गयी थी. लिहाजा इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए इसकी भी जांच का दायित्व सीआइडी को दी गयी है. हैप्पी सिंह की मौत से किसे फायदा पहुंच सकता था, इसकी जांच की जायेगी. जल्द ही इसकी रिपोर्ट राज्य के गृह सचिव को मिलने पर कार्रवाई का निर्णय लिया जायेगा.

कोलकाता पुलिस को मिली हमलावर कैदी से पूछताछ की इजाजत
सोमवार को प्रेसिडेंसी जेल के अंदर हरप्रीत सिंह उर्फ हैप्पी सिंह के पर हमला करने वाले सजा प्राप्त कैदी मोहम्मद निजामुद्दीन शेख से जेल में जाकर पूछताछ करने का आवेदन हेस्टिंग्स थाने की पुलिस ने बैंकशाल कोर्ट में आवेदन किया था. मंगलवार को इस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने पुलिस को उससे जेल में जाकर पूछताछ की इजाजत दे दी है. संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) पल्लव कांति घोष ने बताया कि कोर्ट से इजाजत मिलने के बाद स्थानीय थाने के अलावा लालबाजार के होमेसाइड विभाग की टीम जेल के अंदर जाकर उससे पूछताछ करेगी. इसके बाद उसे अपनी हिफाजत में लेने का अदालत में आवेदन किया जायेगा.

क्या कहा गया है रिपोर्ट में
सूत्रों के मुताबिक, घटना के समय महाराष्ट्र से गिरफ्तार एक माओवादी संगठन के कैदी के अलावा एक अन्य कैदी हैप्पी सिंह के पास मौजूद था. घटना के बाद सबसे पहले दोनों ने ही हैप्पी सिंह को जेल अस्पताल पहुंचाया था. लिहाजा जांच के दौरान डीआइजी (वेलफेयर) सुदीप्त चक्रवर्ती ने इस घटना के गवाह दोनों कैदियों से बात की. घटना के समय लोकल वार्डन राकेश विश्वास की ड्यूटी योगाशन कक्ष के आसपास थी, लेकिन दोनों कैदियों ने बताया कि घटना के समय वह वहां मौजूद नहीं था. इसके अलावा अन्य जेलकर्मियों से पूछताछ में जेल के मुख्य वार्डन मोहम्मद इशाद अली की भी लापरवाही सामने आयी, जिसके बाद दोनों पर सख्ती से कार्रवाई की गयी.

पूरे मामले में जेल के सुपरिटेंडेंट नवीन साहा पर भी लापरवाही का आरोप लगता आया है. इससे पहले भी जेल के अंदर एक कैदी ने फांसी लगायी थी. लिहाजा इस बार हाइप्रोफाइल मामले के आरोपी का इस तरह जेल के अंदर कत्ल कर देने की घटना के बाद उनकी भी लापरवाही की जांच हो रही है. जिस कैदी ने जानलेवा हमला किया, उसके मानसिक रूप से बीमार होने के बावजूद उसे अलग स्थान पर क्यों नहीं रखा गया, इसकी पड़ताल हो रही है.

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