कोलकाता : कांग्रेस सांसद शशि थरूर का कहना है कि राष्ट्रविरोधी की अवधारणा को बदलने की जरूरत है. मौजूदा समय में राष्ट्रविरोधी का तमगा हर उस व्यक्ति को दे दिया जा रहा है, जो केंद्र सरकार के खिलाफ कुछ कह रहा है. ऑल इंडिया प्रोफेशनल्स कांग्रेस के कोलकाता चैप्टर के, विरोध व लोकतंत्र विषय पर आयोजित कार्यक्रम में अपना वक्तव्य पेश करने पहुंचे श्री थरूर ने कहा कि राष्ट्रविरोधी उन्हें कहा जाना चाहिए, जो अभिव्यक्ति की आजादी छीनना चाहते हैं
या अल्पसंख्यकों के अधिकारों को बाधित करते हैं. कुछ वर्षों से वह अभिव्यक्ति की आजादी को बाधित होता देख रहे हैं. मीडिया को आजादी नहीं है. श्री थरूर ने कहा कि सर्वे में पाया गया है कि मीडिया की आजादी के मामले में भारत 180 देशों में से 136वें नंबर पर है. इसमें अफगानिस्तान 120वें नंबर पर है. श्री थरूर का कहना था कि अभिव्यक्ति की आजादी होनी चाहिए. यह स्वीकार करना होगा कि अलग-अलग लोग होते हैं. प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री तक की आलोचना की जा सकती है. सत्य केवल एक नहीं हो सकता. वैकल्पिक सत्य की मौजूदगी भी हो सकती है.
उन्होंने कहा कि विकास के बिना लोकतंत्र नहीं हो सकता और अभिव्यक्ति की आजादी के बिना लोकतंत्र संभव नहीं है. लेकिन सामाजिक जिम्मेदारी भी जरूरी है. यह ध्यान रखने की जरूरत है कि अपनी अभिव्यक्ति की आजादी के कारण तनाव न हो, राष्ट्र को खतरा न पैदा हो. एक सीमा रेखा भी खींचने की जरूरत होती है. इस अवसर पर कांग्रेस नेता ओमप्रकाश मिश्रा, राज्य के युवा कांग्रेस के उपाध्यक्ष रोहन मित्रा, त्रिपुरा कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष प्रद्युत दे बर्मन व अन्य मौजूद थे.