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ममता ने वीर सैनिकों को किया याद
कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 1965 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान शहीद हुए सैनिकों को याद किया. गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में युद्ध का अंत 10 जनवरी 1966 को तत्कालीन सोवियत संघ के रिपब्लिक ऑफ उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में घोषणा पर हस्ताक्षर के साथ […]
कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 1965 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान शहीद हुए सैनिकों को याद किया.
गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में युद्ध का अंत 10 जनवरी 1966 को तत्कालीन सोवियत संघ के रिपब्लिक ऑफ उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में घोषणा पर हस्ताक्षर के साथ हुआ था और आज ही के दिन ताशकंद घोषणा के बाद युद्ध समाप्त हुआ था. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को ट्वीटर पर लिखा है कि आज के ही दिन 1966 में ताशकंद घोषणा से 1965 के भारत-पाक युद्ध का अंत हुआ था. वह उन बहादुर सैनिकों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करती हैं, जिन्होंने राष्ट्र के लिये अपने प्राणों की आहुति दी थी.
सीएम की डी लिट उपाधि मामले पर फैसला नहीं
कोलकाता. राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कलकत्ता विश्वविद्यालय द्वारा डी लिट उपाधि दिये जाने के मामले की ग्रहणयोग्यता को लेकर बुधवार को फैसला नहीं हो सका. उत्तरबंग विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति रंजूगोपाल मुखर्जी ने कलकत्ता हाइकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी.
उनका कहना था कि यह उपाधि यदि मुख्यमंत्री को दी जाती है, तो कलकत्ता विश्वविद्यालय की गरिमा को आघात लगेगा. कलकत्ता हाइकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ज्योतिर्मय भट्टाचार्य व न्यायाधीश अरिजीत बंद्योपाध्याय की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई.
राज्य के एडवोकेट जनरल किशोर दत्त ने कहा कि इस मामले को सुनवाई करने के लिए स्वीकार करना अदालत के लिए उचित नहीं होगा. इसका कारण है कि याचिकाकर्ता ने विश्वविद्यालय के सिंडिकेट व सिनेट पर भाई-भतीजेवाद का आरोप लगाया है.
लेकिन इतना बड़ा आरोप लगाने पर भी इस मामले में सिंडिकेट या सिनेट को पक्षकार नहीं बनाया गया. विश्वविद्यालय के वकील शक्तिनाथ मुखर्जी का कहना था कि किसे डी लिट की उपाधि दी जायेगी और किसे नहीं, इसपर अदालत विचार नहीं कर सकती. खंडपीठ में मामले की सुनवाई पूरी हो गयी है. खंडपीठ ने कहा कि गुरुवार को इसकी अगली सुनवाई होगी.
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