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झाड़ग्राम के इंजीनियर ने बनाया सबसे हल्का एंटी लैंडमाइन व्हेकिल

सिर्फ पांच टन का होगा पुरानी एंटी लैंडमाइन व्हेकिल के मुकाबले काफी रफ्तार से चलेगा कोलकाता : पश्चिम बंगाल में झाड़ग्राम के रहनेवाले एयरोस्पेस इंजीनियरिंग शोधकर्ता प्रोफेसर शांतनु भौमिक ने एक ऐसा लाइट व्हेकिल बनाया है, जिस पर लैंडमाइन का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. इस वाहन के निर्माण के लिए शांतनु भौमिक ने ऐसे कच्चा […]

सिर्फ पांच टन का होगा

पुरानी एंटी लैंडमाइन व्हेकिल के मुकाबले काफी रफ्तार से चलेगा
कोलकाता : पश्चिम बंगाल में झाड़ग्राम के रहनेवाले एयरोस्पेस इंजीनियरिंग शोधकर्ता प्रोफेसर शांतनु भौमिक ने एक ऐसा लाइट व्हेकिल बनाया है, जिस पर लैंडमाइन का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. इस वाहन के निर्माण के लिए शांतनु भौमिक ने ऐसे कच्चा माल का प्रयोग किया है, जिससे इसका वजन मात्र पांच टन होगा.
एंटी-लैंडमाइन व्हेकिल का प्रयोग मुख्य रूप से रक्षा एजेंसियों द्वारा किया जाता है, जिसका वजन लगभग 10-15 टन के बीच होता है. प्रोफेसर भौमिक द्वारा बनाये जानेवाला व्हेकिल का वजन काफी कम पांच टन होगा और पुराने एंटी- लैंडमाइन व्हेकिल की अपेक्षा काफी रफ्तार से चलेगा. पहाड़ी क्षेत्रों में इसकी उपयोगिता काफी अधिक होगी. इस व्हेकिल में एक ऐसे पदार्थ का प्रयोग किया गया है, जिससे यह 2400 डिग्री सेल्सियस तक तापमान सह सकता है, जबकि सामान्य रूप से एंटी-लैंडमाइन व्हेकिल 2000 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान ही सह सकते हैं.
गौरतलब है कि प्रोफेसर शांतनु भौमिक ने इससे पहले ‘मेक इन इंडिया’ के तहत सबसे हल्का व किफायती बुलेट प्रूफ जैकेट बनाया था. इस स्वदेशी बुलेटप्रूफ जैकेट से सरकार को हर साल कम से कम 20 हजार करोड़ रुपये की बचत होगी. विदेशी जैकेट का वजन 15 से 18 किलोग्राम के बीच होता है, जबकि इस स्वदेशी बुलेटप्रूफ जैकेट का वजन सिर्फ 1.5 किलोग्राम है. कार्बन फाइबर वाले इस जैकेट में 20 लेयर हैं. इसे 57 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान पर भी पहना जा सकता है. अपने नयी खोज के संबंध में प्रोफेसर भौमिक ने बताया कि इस व्हेकिल को सेरामिक व स्टील प्लेट से बनाया गया है.
तापमान के प्रतिरोध के लिए इसमें 60 एमएम वाले त्रिस्तरीय सेरामिक कोट लगाया है, जिससे यह 2400 डिग्री सेल्सियस तक तापमान झेल सकता है. उन्होंने बताया कि टाटा ग्रुप द्वारा उनके जमशेदपुर वर्कशॉप में इस नये एंटी-लैंडमाइन व्हेकिल का निर्माण किया जा रहा है, क्योंकि टाटा द्वारा इसके लिए उच्च क्वालिटी के स्टील मुहैया कराया जा रहा है और यह पूरी तरह से भारतीय तकनीक पर बना होगा. उन्होंने उम्मीद जाहिर करते हुए कहा कि वर्ष 2020 तक यह वाहन रास्ते पर होगा.

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