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जंगलमहल में भारती का दबदबा खत्म करने की तैयारी

10 जनवरी को गोपीबल्लभपुर में युवा समावेश कर शक्ति प्रदर्शन करेंगे अभिषेक जंगलमहल में ज्यादातर लोग भारती घोष के प्रति व्यक्तिगत रूप से समर्पित तृणमूल को आशंका : मुकुल और भारती के करीबी मिल कर पहुंचा सकते हैं नुकसान कोलकाता : आइपीएस अधिकारी भारती घोष के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का आवेदन स्वीकार करने के बाद तृणमूल […]

10 जनवरी को गोपीबल्लभपुर में युवा समावेश कर शक्ति प्रदर्शन करेंगे अभिषेक

जंगलमहल में ज्यादातर लोग भारती घोष के प्रति व्यक्तिगत रूप से समर्पित
तृणमूल को आशंका : मुकुल और भारती के करीबी मिल कर पहुंचा सकते हैं नुकसान
कोलकाता : आइपीएस अधिकारी भारती घोष के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का आवेदन स्वीकार करने के बाद तृणमूल कांग्रेस जंगल महल इलाके से उनका प्रभाव पूरी तरह से खत्म करने में जुट गयी है. इसके लिए मैदान में खुद अभिषेक बनर्जी उतर रहे हैं. 10 जनवरी को वह गोपी बल्लभपुर में युवा समावेश कर जहां एक ओर शक्ति प्रदर्शन करेंगे. वहीं, तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को लेकर आगे की रणनीति बनायेंगे. फिलहाल तृणमूल कांग्रेस को चिंता इस बात की है कि जंगलमहल में जिस तरह भारती घोष नक्सली विचारधारा से प्रभावित लोगों को छल, बल और कौशल से समाज की मुख्यधारा में लायी थीं,
उसमें ज्यादातर लोग भारती घोष के प्रति व्यक्तिगत रूप से समर्पित हैं. इसके अलावा जिला तृणमूल कांग्रेस के कई नेता मुकुल राय के एहसानों को आज भी मानते हैं. ऐसे में मुकुल और भारती के जाने से हंसता हुआ जंगल महल क्या फिर से पुराने फार्म में तो नहीं चला आयेगा. यह आशंका स्थानीय तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को सता रही है. सबंग चुनाव में भाजपा के मतों में हुए जबरदस्त इजाफे के बाद के हालात कुछ इसी तरफ इशारा कर रहे हैं. इसी का डैमेज कंट्रोल करने में तृणमूल कांग्रेस जुट गयी है.
तृणमूल कांग्रेस के नेताओं की मानें तो तकरीबन साढ़े छह सालों के कार्यकाल में भारती घोष जिला पुलिस अधीक्षक के पद पर रहते हुए पश्चिम मेदिनीपुर जिले में अघोषित रूप से तृणमूल कांग्रेस की मुखिया की भूमिका में आ गयी थी. मुख्यमंत्री का उन पर विशेष स्नेह था. तृणमूल खेमे में वह मुकुल राय की करीबी मानी जाती थी. यही वजह है कि माओवादी दमन अभियान के दौरान नक्सलियों को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए पुर्नवास पैकेज से लेकर उनको स्थापित करने का सारा काम भारती घोष ने खुद की देखरेख में किया. इस दौरान जहां एक तरफ वह स्पेशल होमगार्ड के रूप में सैकड़ों लोगों को नियुक्त की.
वहीं माओवादी एक्शन स्क्वाड के अंदर अपने विराट सोर्स का नेटवर्क खड़ा की. इसके लिए पुलिस व केंद्र सरकार से मिलनेवाली रकम का अच्छा खासा हिस्सा उन्होंने खर्च किया. नतीजतन माओवादियों को शांत करने में वह जहां एक तरफ सफल हुईं, वहीं उनकी टीम से तृणमूल कांग्रेस के नेता भी हाशिये पर चले गये. राज्य के हेवीवेट मंत्री शुभेंदू अधिकारी भी भारती घोष की मौजूदगी में कुछ करने से कतराते थे. इस नेटवर्क से हर कोई कांपता था.
राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि राज्य की राजनीति में आये बदलाव से भारती घोष के लिए बुरा वक्त शुरू हो गया. मुकुल राय के भाजपा में जाने व सबंग विधानसभा चुनाव में भाजपा के मतों में अचानक आये उछाल ने भारती घोष की विश्वसनीयता पर सवाल उठा दिया. आनन-फानन में उनका तबादला कम महत्वपूर्ण पद पर बैरकपुर में कर दिया गया. इससे दुखी घोष ने अपना इस्तीफा दे दिया, जिसे मंजूर कर लिया गया. अब तृणमूल कांग्रेस को इस बात की चिंता सता रही है कि मुकुल के करीबी लोगों के साथ भारती घोष की टीम मिलकर अगर एक साथ काम करना शुरू कर दिये तो पार्टी के लिए वहां मुश्किल खड़ी हो सकती है. इसलिये अभिषेक बनर्जी खुद मैदान में उतर रहे हैं. वह संगठन को अपने स्तर पर संवारने की कोशिश करेंगे. इसके लिए 10 तारीख को होने वाले युवा समावेश को माध्यम बनाया जा रहा है. हालांकि उस सभा में शुभेंदू अधिकारी रहेंगे या नहीं यह अभी तय नहीं हुआ है, लेकिन पार्टी में संगठन को मजबूत करने के लिए हर मुमकिन कोशिश की जायेगी. फिलहाल मानस भुईंया को सामने लाकर डैमेज कंट्रोल करने की चर्चा तृणमूल कांग्रेस में जोरों पर है.

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